भारत के आजाद होने के बाद यह पहला मौका है जब देश के सबसे बड़े न्याय मंदिर सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर सवाल उठाते हुए देश लोगों से न्याय के इस सर्वोच्च मंदिर की रक्षा करने की अपील की।
आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये चार जज कौन हैं जिन्होंने चीफ जस्टिस के कोर्ट में सुधारात्मक कदम को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
जस्टिस जे चेलमेश्वर
जस्टिस चेलमेश्वर का जन्म 23 जुलाई 1953 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। उन्होंने मद्रास के प्रतिष्ठित लोयला कॉलेज से भौतिकी में ग्रेजुएशन किया।
इसके बाद चेलमेश्वर ने आंध्र यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। 13 अक्टूबर 1995 को चेलमेश्वर एडिशनल एकवोकेट जनरल बने। इसके बाद उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
साल 2011 में वो देश के सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के जज बने। जस्टिस चेलमेश्वर और आर एफ नरीमन की बेंच ने साल 2012 में यूपीए के शासनकाल में धारा 66 ए को असंवैधानिक करार दिया था। बोलने की आजादी को लेकर इसे बड़ा फैसला करार दिया गया था।
जस्टिस रंजन गोगोई
जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ था। गोगोई साल 1978 में वकील बने और गुवाहाटी हाई कोर्ट में लंबे समय तक वकालत की। लंबे वकालत अनुभव के बाद इन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट में स्थाई जज के तौर पर नियुक्त किया गया।
2010 में पंजाब-हरियाणा होई कोर्ट के जज रहते ही इन्हें साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उस बेंच में शामिल थे जिसने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू को सौम्या मर्डर केस में ब्लॉग लिखने के लिए कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था।
जस्टिस मदन भीमराव लोकुर
जस्टिस लोकुर का जन्म 31 दिसंबर 1953 को हुआ था। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से की थी। जस्टिस लोकुर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सैंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद यहीं से साल 1977 में एलएलबी की ड्रिग्री भी ली।
कई सालों तक दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने के बाद 1981 में परीक्षा पास कर सुप्रीम कोर्ट में बतौर एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड पंजीकृत हुए थे। लोकुर साल 1990 से 1996 तक सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील भी रहे।
यह भी पढ़ें: चार जजों ने देश से की अपील, सुप्रीम कोर्ट को बचाएं, तभी सुरक्षित होगा लोकतंत्र
इन्हें 4 जून 2012 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। जस्टिस लोकुर ने साल 2017 में मणिपुर में हुए मुठभेड़ की जांच के आदेश दिए थे।
जस्टिस कुरियन जोसेफ
जस्टिस जोसेफ का जन्म 30 नवंबर 1953 को केरल में हुआ था। जोसेफ ने तिरुवनंतपुरम से कानूनी की पढ़ाई पूरी की है। साल 1983-85 तक वो कोच्चि यूनिवर्सिटी के सीनेट मेंबर रहे।
साल 1979 में जस्टिस जोसेफ ने वकालत शुरू की थी और साल 2000 में केरल हाई कोर्ट के जज बने। इसके बाद उन्हें 2010 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। आठ मार्च 2013 को जस्टिस कुरियन सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए।
जोसेफ 29 नवंबर 2018 को रिटायर होंगे। कुरियन पांच जजों की उस बेंच में शामिल थे जिन्होंने तीन तलाक को अवैध करार दिया था।
वीडियो यहां देखें
यह भी पढ़ें: अंतरिक्ष में ISRO की 100वीं छलांग, 31 सेटेलाइट का सफल प्रक्षेपण
Source : News Nation Bureau