5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद वहां पर आतंकी संगठनों का लगभग सफाया हो चुका था. भारतीय सेना के जवानों ने जम्मू-कश्मीर से लगी पाकिस्तान की सीमारेखा पर नकेल कस दी थी. पाकिस्तान इस दौरान लगातार सीजफायर का उल्लंघन करके अपने आतंकियों की घुसपैठ करवाने की कोशिश किया करता था, लेकिन वो अपने किसी भी मंसूबे में कामयाब नहीं हो पा रहा था. वहीं पाकिस्तान पर अपने आतंकियों पर कार्रवाई का अंतर्राष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा था.
ऐसे में पाकिस्तान ने दुनिया को दिखाने के लिए एक नया पैंतरा अपनाया और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी संगठनों पर कारर्वाई की. दरअसल पाकिस्तान ने ये कार्रवाई सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए ही की थी. जबकि इन आतंकी संगठनों के की जगह पाकिस्तान ने एक नए आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) की नींव भी रख दी.
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक पाकिस्तान ने यह आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स की कार्रवाई से बचाने के लिए बनाया गया है. इसके अलावा इस आतंकी संगठन के बारे में यह जानकारी भी सामने आई है कि यह आतंकी संगठन कश्मीर में निष्क्रिय पड़े आतंकवादी गुटों का एक मिला-जुला रूप है. आपको बता दें कि टीआरएफ की ब्रांडिंग को देखते हुए दुनिया भर के देशों का ध्यान इसकी ओर आकर्षित होने लाजमी है. कश्मीर में पनप रहे इस आतंकी संगठन को पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है. वहीं इस संगठन को पाकिस्तान के पुराने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और अल बद्र जैसे आतंकी संगठनों का संरक्षण प्राप्त था लेकिन इस बीच ये खबरें भी आईं हैं कि अब टीआरएफ और हिजबुल मुजाहिदीन के बीच वर्चस्व की लड़ाई छिड़ गई है.
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लश्कर-ए-तैयबा ने खड़ा किया है टीआरएफ
मीडिया में आईं खबरों की मानें तो लश्कर-ए-तैयबा ने कश्मीर में अपना नया संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) बनाया है, बस इसी के बाद से टीआरएफ की हिजबुल मुजाहिदीन के साथ तनातनी बढ़ गई है. वहीं अब पाकिस्तान भी अपने नए आतंकी नेटवर्क को मजबूती देने में लगा हुआ है. यही वजह से कि हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन के आकाओं को ऐसा लगने लगा है कि कश्मीर में अब उनकी जमीन खिसक रही है. जिसकी वजह से दोनों संगठनों में तनातनी बढ़ी है. वहीं टीआरएफ ने हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर अब्बास शेख को अपने संगठन में शामिल कर उसे बड़ा झटका दिया है.
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हिजबुल के निशाने है अब्बास शेख
आपको बता दें कि टीआरएफ ज्वाइन करने के बाद आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को छोड़ने वाला टॉप कमांडर अब्बास शेख इन दिनों पूरी तरह से अंडरग्राउंड हो गया है. जिसके पीछे अब्बास का कहना है कि उसके टीआरएफ ज्वाइन करने के बाद ही वो हिजबुल के निशाने पर आ गया है. अब्बास इस बात का भी दावा करता है कि उसके साथ 12 ऐक्टिव सदस्य हैं और कई सारे ग्राउंड वर्कर्स भी हैं. अब्बास के बारे में जानकारी देते हुए टीआरफ ने कहा कि कुछ दिन पहले ही हमने हिजबुल मुजाहिदीन को चेतावनी दी थी कि वह कश्मीर पुलिसकर्मियों और नागरिकों को मारना बंद करे लेकिन उसने शोपियां से जम्मू-कश्मीर के एक पुलिसकर्मी का अपहरण कर लिया. जिसके बाद हिजबुल के टॉप कमांडर ने इस आतंकी संगठन का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया था. टीआरएफ ने हिजबुल को आगाह किया है कि हमारी लड़ाई भारतीय सुरक्षाबलों से है न की कश्मीरियों से.