बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र ने 82 साल की उम्र सोमवार यानी 19 अगस्त को अपनी आख़िरी सांस दिल्ली में ली. जगन्नाथ मिश्र पिछले कई महीनों से बीमार थे. वो बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री बने. जगन्नाथ मिश्र बिहार में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे. मिश्र केंद्र में भी मंत्री रहे थे. जगन्नाथ मिश्र के भाई ललित नारायण मिश्र इंदिरा गांधी की सरकार में रेल मंत्री थे. राजनीति में आने से पहले मिश्र बिहार यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर थे. इन्होंने कुछ किताबें भी लिखी थीं. कांग्रेस जब कमज़ोर हुई तो मिश्र ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था. एनसीपी के बाद वो जनता दल यूनाइटेड में भी गए.
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जगन्नाथ मिश्र करोड़ों रुपए के बहुचर्चित चारा घोटाले में अभियुक्त भी रहे थे. हाल ही में रांची हाई कोर्ट ने मिश्र को इस मामले में बरी कर दिया था. जगन्नाथ मिश्र के बेटे नीतीश मिश्र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट में मंत्री रहे हैं. जगन्नाथ मिश्र के निधन पर कई बड़े नेताओं ने शोक जताया है.
जानें जगन्नाथ मिश्र से जुड़ी अहम बातें, एक नजर में
· डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र भारतीय राजनेता और बिहार के तीन पार मुख्यमंत्री रह चुके थे.
· उन्होंने कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने थे.
· बचपन से ही उनकी रूचि राजनीति में थी , क्योंकि उनके बड़े भाई , ललित नारायण मिश्र राजनीति में थे और देश के रेल मंत्री थे.
· डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र विश्वविद्याल में पढ़ाने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे और बाद में 1975 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने.
· जगन्नाथ मिश्र 1975 से 1977, 1980 से 1983 और 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे . लंबे समय तक जगन्नाथ मिश्र सक्रिय राजनीति में रहे लेकिन पिछले काफी समय से वो राजनीति से दूर थे.
· जगन्नाथ मिश्र और कर्पूरी ठाकुर बिहार के ऐसे मुख्यमंत्री माने जाते हैं जो पंचायत तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम और घर का पता तक याद रखते थे और उन्हें चिट्ठी भी लिखा करते थे. वो राजनीतिक परिवार से थे और उनके बड़े भाई ललित नारायण मिश्र भी रेल मंत्री थे .
· जगन्नाथ मिश्र वैचारिक तौर पर कांग्रेसी ही रहे लेकिन बाद में वैचारिक टकराव के कारण वो शरद पवार की पार्टी एनसीपी में चले गए . इंदिरा गांधी के समय से लगातार वो सियासत में बहुत मजबूती से रहे . राजीव गांधी का दौर आया और पीवी नरसिम्हा राव से भी उनके अच्छे संबंध रहे .
· 30 सितंबर 2013 को रांची में एक विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो ने चारा घोटाला मामले में 44 अन्य लोगों के साथ उन्हें भी दोषी ठहराया.
· उन्हें चार साल की कारावास और 200,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. बाद में उन्हें जमानत पर बरी कर दिया गया था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो