6 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता के निधन के बाद अब उनके उत्तराधिकारी को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है आखिर उनकी विरासत को आगे कौन बढ़ाएगा।
AIADMK में अब जयललिता के बाद कौन पार्टी की कमान संभालेगा, क्या जो भी पार्टी का कमान संभालेगा उसे पार्टी के एक मंत्री से लेकर बूथ लेवल तक का कार्यकर्ता अम्मा की तरह अपना नेता मान पाएगा।
जयललिता के निधन के बाद पार्टी के उत्तराधिकारी के तौर पर जिसका नाम वहां सबसे आगे चल रहा है वो हैं शशिकला नटराजन। जयललिता का जीवन जितने रहस्यों से भरा रहा था उतना ही उनका शशिकला नटराजन से रिश्ता भी रहस्यमय था।
जबसे जयललिता राजनीति में आईं तब से शशिकला उनके आस पास साए की तरह मौजूद रहती थीं, हर जगह चाहे वो चुनाव प्रचार हो या चुनाव से जुड़ा कोई काम या फिर घर का कोई निजी कार्यक्रम ही क्यों ना हो शशिकला हर जगह जयललिता के साथ नजर आती थीं। इतना ही नहीं जयललिता पार्टी बैठक के दौरान भी शशिकला के साथ ही रहती थीं।
जयललिता की शशिकला से मुलाकात 80 के दशक में उस वक्त हुई थी जब शशिकला वीडियो पार्लर चलाती थी और शादी सहित अन्य कार्यक्रम का वीडियो बनवाती थी। ऐसे ही किसी कार्यक्रम में पहली बार शशिकला से मिली थी जिसके बाद दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि जयललिता सत्ता में आने के बाद भी शशिकला के साथ ही रहने लगी थी।
लगभग तीन दशकों तक जयललिता के साथ रही शशिकला का प्रभाव इतना बढ़ चुका था कि वो खुद तय करती थीं कि कौन जयललिता से मिल सकता है और कौन नहीं। पार्टी के हर फैसले में भी शशिकला की अहम भूमिका होने लगी थी।
शशिकला जयललिता के दिल के इतने करीब पहुंच चुकी थी की जयललिता शशिकला के परिवार को अपना परिवार तक मानने लगी थीं और शशिकला के भतीजे को अपना बेटा मानने लगी थी।
शशिकला के भतीजे वीएन सुधाकरन की शादी से ही जयललिता चर्चा में आ गईं थीं। जयललिता ने इस शादी पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किए थे और करीब 1 लाख से ज्यादा लोग इस शादी में शामिल हुए थे। बाद में शादी में इतने खर्चे को लेकर कई विवाद भी हुए थे और जयललिता पर भ्रष्टाचार करने का आरोप भी लगा था
दोस्ती में दो बार आई थी दरार
80 के दशक से चल रही दोनों की दोस्ती में पहली बार दरार 1996 में आई थी। जयललिता ने शशिकला के परिवार वालों पर उनके इमेज को नुकसाने पहुंचाने का आरोप लगाया था। इस झगड़े का परिणाम ये हुआ कि जयललिता की पार्टी 1996 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गई।
हालांकि कुछ ही दिनों के बाद शशिकला फिर से जयललिता के साथ आ गईं थीं। शशिकला और जयललिता के बीच रिश्ते साल 2010 के बाद फिर खराब होने लगे। साल 2012 में सीएम जयललिता ने पार्टी विरोधी काम करने के आरोप में शशिकला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था और जयललिता सीएम आवास में अकेले रहने लगीं थी। जयललिता को ऐसा शक होने लगा था कि शशिकला उन्हें हटा कर खुद प्रदेश की मुख्यमंत्री बनना चाहती थी।
हालांकि पिछले ढाई महीने से जब से जयललिता अस्पताल में भर्ती हुईं थी तबसे शशिकला हमेशा उनके पास ही रहीं और जयललिता के निधन पर शशिकला को कई बार भावुक होकर रोते हुए भी देखा गया है।
लेकिन शशिकला के लिए पार्टी और राज्य दोनों की कमान अम्मा की तरह संभालना इतना भी आसान नहीं होगा क्योंकि जिस थेवर समुदाय से वो आतीं हैं उनके प्रतिद्वंदी और तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम भी उसी समुदाय से आते हैं।ऐसे में शशिकला का थेवर समुदाय से जुड़ा होना कोई उपलब्धि नहीं है। एक मंत्री के तौर पर पनीरसेल्वम हमेशा जयललिता की पहली पसंद थे इसलिए उनसे उन्हें चुनौती मिलना तय है।
Source : Kunal kaushal