राफेल विमान (Rafale deal) सौदे को लेकर सरकार और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप के बीच आमने-सामने हैं। कांग्रेस इस मद्दे को जोरशोर से उठा रही है। यह मामला संसद से लेकर सड़क तक गर्म हैं। इस मामले में कांग्रेस ने बीते सोमवार को राफेल मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर संसद को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की बात कही थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का राफेल सौदे को लेकर कहना है कि सरकार इस मामले में पूरी जानकारी नहीं दे रही है। लेकिन अगर बिखरी सूचनाओं को जोड़ा जाए तो राफेल डील की A-Z जानकारी पाई जा सकती है।
गौरतलब है कि फ्रांस से राफेल सौदा ((Rafael deal)) मामले में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि बाद में सौदे की गोपनीयता संबंधी शर्त पर फ्रांस की पुष्टि के बाद खुद पीएम ने राहुल पर पलटवार किया था। इसके बाद भाजपा के चार सांसदों ने राहुल के खिलाफ इस मामले में सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे दिया था।
आखिर क्या है राफेल विमान
राफेल विमान को फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी बनाती है। यह 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। राफेल लड़ाकू विमान युद्ध के समय अहम रोल निभाने में सक्षम हैं। हवाई हमला, जमीनी समर्थन, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध ये सारी राफेल विमान की खूबियां हैं।
क्यों चुना राफेल को
भारतीय वायु सेना ने कई टेस्ट के बाद राफेल को चुना है। हालांकि राफेल विमान भारत सरकार के लिए एकमात्र विकल्प नहीं था। इस डील के लिए कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माताओं ने भारतीय वायुसेना को विमान बचने की पेशकश की थी। इनमें से छह बड़ी विमान कंपनियों को चुना गया। जिसमें लॉकहीड मार्टिन का एफ-16, बोइंग एफ/ए -18 S, यूरोफाइटर टाइफून, रूस का मिग -35, स्वीडन की साब की ग्रिपेन और राफेल शामिल थे। भारतीय वायुसेना ने विमानों के परीक्षण और उनकी कीमत के आधार पर राफेल और यूरोफाइटर को शॉर्टलिस्ट किया। यूरोफाइटर टायफून काफी महंगा है। इस कारण 126 राफेल विमानों को खरीदने का फैसला किया गया है।
2001 में वायुसेना ने की थी लड़ाकू विमानों की मांग
भारतीय वायुसेना ने वर्ष 2001 में अतिरिक्त लड़ाकू विमानों की मांग की थी। रक्षा मंत्रालय ने लड़ाकू विमानों की वास्तविक खरीद प्रक्रिया 2007 में शुरू की। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने अगस्त 2007 में 126 विमान खरीदने के प्रस्ताव को सहमति दी। इस सौदे की शुरुआत 10.2 अरब डॉलर यानी 5,4000 करोड़ रुपए में हुई थी। 126 विमानों में 18 विमानों को तुरंत देने और अन्य की तकनीक भारत को सौंपने की बात थी। लेकिन बाद में किसी कारणवश इस सौदे की प्रकिया आगे नहीं बढ़ सकी।
और पढ़ें : आसान है बच्चों के नाम म्युचुअल फंड खरीदना, 18 की उम्र तक तैयार हो जाएगा लाखों रुपए का फंड
2015 में मोदी सरकार ने आगे बढ़ाया मामला
अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस के दौरे पर गए थे, उसी दौरान 36 राफेल विमान खरीदने का फैसला लिया गया। इसके बाद वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने इस सौदे पर हस्ताक्षर किए। फिर जब फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलैंड ने जनवरी माह में भारत का दौरा किया, तब राफेल विमानों की खरीद के 7.8 अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर हुए।
जानें राफेल की 10 खूबियां
- राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।
- अधिकतम भार उठाकर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम है।
- विमान में फ्यूल क्षमता- 17,000 किलोग्राम किलोग्राम है।
- यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है।
- हर तरह के मिशन में ऐसे विमान भेजे जा सकते हैं।
- 150 किमी की बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल, हवा से जमीन पर मार वाली स्कैल्प मिसाइल।
- स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किमी, हथियारों के स्टोरेज के लिए 6 महीने की गारंटी।
- राफेल की अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा और 3700 किलोमीटर तक मारक क्षमता।
- 75 फीसदी विमान हमेशा ऑपरेशन के लिए तैयार रहेंगे, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है।
Source : News Nation Bureau