Remal Cyclone: बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवात रेमल बंग्लादेश और पश्चिम बंगाल के तट से चकराने वाला है. जिसका असर ओडिशा, , आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और त्रिपुरा तक देखा जा सकता है. आज रात इस तूफान से तबाही मचने की आशंका है. जिसके निशान सुबह देखे जा सकेंगे. चक्रवात रेमल का कोलकाता और बांग्लादेश के तटों पर लैंडफॉल शुरू हो गया है. एनडीआरएफ की 14 टीमों को तटीय इलाकों में तैनात किया गया है. जबकि एक लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय भी चक्रवात रेमल पर नजर बनाए हुए हैं. ऐसे में हमें ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर ये चक्रवाती तूफान आते क्यों हैं.
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जानें क्यों और कैसे आते हैं चक्रवाती तूफान
बता दें कि चक्रवात एक सर्कुलर स्टॉर्म यानी गोलाकार तूफान होते हैं, जो अक्सर गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं. हर तरह के साइक्लोन यानी तूफान बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है. यही वजह है कि चक्रवात अधिकतर गर्म इलाकों में ही बनते हैं. क्योंकि समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से हल्की होने लगती है. जिससे वह ऊपर उठती है. जिससे उस हवा का क्षेत्र खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर कम होने लगता है.
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इस खाली जगह पर जब आसपास की ठंडी हवा पहुंचती है, इसके बाद वह गर्म होकर ऊपर उठने लगती है. इस तरह ऐसा लगातार होन लगता है. जिससे बादल बनने लगते हैं. इसके असर से तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स्टॉर्म साइिकल तैयार हो जाते हैं. समुद्र में ये गोलाकार तूफान एकदम कुंडली मारकर बैठे सांप की तरह दिखाई देते हैं. इस कारण इन्हें साइक्लोन कहा जाता है. साइक्लोन शब्द ग्रीक भाषा के साइक्लोस से लिया गया है, जिसका अर्थ है सांप की कुंडलियों से है.
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तूफानों को क्यों दिया जाता है नाम
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक दुनिया में एक समय में एक से अधिक साइक्लोन आ सकते हैं. जो लंबे समय तक जारी रह सकते हैं. ऐसे में उस तूफान को लेकर बढ़ने वाले जोखिम के प्रति जागरुक करने, बचाव और राहत कार्य के प्रबन्धन करने और किसी भी तरह के भ्रम से बचने के लिए हर तूफान को एक नाम देना जरूरी हो जाता है. जिससे संबंधित चक्रवाती तूफान के बारे में समय पर जानकारी जुटाई जा सके.
Source : News Nation Bureau