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सुबह के समय ही कैदियों को दी जाती है फांसी की सजा, जानिए इसके पीछे की वजह

भारत में फांसी की सजा हमेशा सूर्योदय के तुरंत बाद ही दी जाती है.

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Ravindra Singh
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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : न्‍यूज स्‍टेट)

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हमारे देश में रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस में सबसे बड़ी सजा फांसी की होती है. जघन्य अपराधों के लिए भारत के अलावा अन्य देशों में भी मौत की सजा ही दी जाती है लेकिन इन देशों में अलग-अलग तरीकों से मौत की सजा दी जाती है. भारत में फांसी की सजा हमेशा सूर्योदय के तुरंत बाद ही दी जाती है. आइये हम आपको बताते हैं कि आखिर फांसी देते समय ऐसा क्या होता है कि सुबह का ही वक्त चुना जाता है कैदी को लटकाने के लिए.

सजायाफ्ता कैदियों को भारत में सुबह के समय ही फांसी दी जाती है जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जेल मैन्युअल आपको बता दें कि जेल मैन्युअल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद ही किए जाते हैं ताकि कैदी को फांसी देने के बाद और कोई भी कार्य प्रभावित न हो सके. कैदी को फांसी देने की वजह से जेल के और काम ज्यादा प्रभावित न हों इसलिए सजायाफ्ता कैदियों को सुबह के वक्त ही फांसी दी जाती है.

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फांसी से पहले जल्लाद बोलता माफी मांगता हुए कहता है....
जल्लाद सजायाफ्ता कैदी को फांसी देने से बोलता है कि मुझे माफ कर दिया जाए. हिंदू भाईयों को राम-राम, मुसलमान भाईयों को सलाम, हम क्या कर सकते हैं हम तो हुक्म के गुलाम हैं. हमें ऊपर से यह काम करने का आदेश मिला है जिसका हम पालन कर रहे हैं.

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जानिए कितनी देर फांसी पर लटकता है शव
सजायाफ्ता कैदी को कितनी देर तक फांसी के फंदे पर लटकना है इसकी कोई तय समय सीमा नहीं है. लेकिन जब कैदी को फांसी पर लटकाया जाता है तो उसे लगभग 10 मिनट तक फंदे पर झूलने दिया जाता है लगभग 10 मिनट बाद मेडिकल टीम उसके शव की जांच करती है और उसकी मृत्यु की पुष्टि भी करती है.

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फांसी के वक्त ये लोग रहते हैं मौजूद
जब किसी कैदी को फांसी दी जाती है तो वहां पर कौन-कौन लोग मौजूद होते हैं यह सवाल हर किसी के मन में उठता होगा तो चलिए हम आपके इस सवाल का जवाब दे देते हैं. फांसी देते समय उस जगह पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जेल अधीक्षक और जल्लाद का मौजूद रहना बेहद जरूरी होता है. अगर इनमें से कोई भी अनुपस्थित है तो कैदी की फांसी टाली भी जा सकती है. इन लोगों को पहले से ही फांसी का दिन और समय बता दिया जाता है. अगर किसी तरह की इमरजेंसी नहीं हो तो ये लोग उस तय समय से पहले ही फांसी देने वाली जगह पर पहुंच जाते हैं.

Source : Ravindra Singh

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