कोर्ट के अवमानना के आरोप में कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सी एस करनन सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए। करनन और उनके वकील के न्यायालय में पेश नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की कार्रवाई तीन हफ्ते के लिए टाल दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति करनन द्वारा शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार को लिखे गए पत्र को संज्ञान में लिया था। इस पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि दलित होने के कारण उनका उत्पीडन किया गया।
सुनवाई के दौरान पेश न होने को लेकर कोर्ट ने कहा कि उनके पेश नहीं होने के कारणों की जानकारी हमें नहीं है। इसलिए हम इस मामले में किसी भी कार्रवाई को टाल रहे हैं।
जस्टिस करनन ने अपने खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस को दलित विरोधी बताया है। नोटिस को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा है और उसमें हाइकोर्ट के सिटिंग जस्टिस के खिलाफ इस कार्रवाई की वैधानिकता पर सवाल उठाया है।
पत्र में जस्टिस करनन ने लिखा है कि यह कार्यवाही सुनवाई के लायक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट के बाद होनी चाहिए और अगर इस पर सुनाई की बहुत जल्दी है, तो मामले को संसद में भेज देना चाहिए।
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जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएक खेहर की अगुआई वाले 7 जजों की बेंच पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने बेंच को दलित-विरोधी और सवर्णों की ओर झुकाव रखने वाला कहा है।
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जस्टिस करनन दलित समुदाय से आते हैं। उन्होंने कहा है कि ऊंची जाति के जज दलित वर्ग के जजों से मुक्ति चाहते हैं।
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Source : News Nation Bureau