बिहार के उत्तरी-पूर्वी हिस्से को मिथिलांचल कहते हैं. यहां कोसी नदी सर्वाधिक तबाही मचाने वाली नदी के तौर पर जानी जाती हैं. कोसी को बिहार का शोक भी कहा जाता है. उन्हें बांधने की बहुत सारे कोशिशें नाकाम रही हैं. एक समय था, आजादी के पहले... साल 1934 तक का. और उसके पहले का. जब कोसी नदी के ऊपर पुल भी थे. ट्रेन भी चलती थी. पुल तो आज भी हैं, लेकिन 1934 तक जो पुल था, वो खास था. उस पर ट्रेन भी चलती थी. मधुबनी-सुपौल-दरभंगा जैसे शहर आपस में जुड़े थे. लेकिन साल 1934 में आया बहुत बुरा भूकंप. लाखों लोगों की जान गई. कोसी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया. और मिथिलांचल जोन आपस में बंट गया. एक कोसी के इस पार, दूसरा कोसी के उस पर. हालांकि अब रेलवे ने वो पुल बना लिया है. साल 1934 से 2022 के बीच 88 साल बीत चुके हैं और अब 7 मई 2022 को कोसी के ऊपर से ट्रेन भी चलने लगेगी. रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसका लोकार्पण करेंगे.
अब 100 किमी कम हो जाएगी मधुबनी-सुपौल के बीच की दूरी
मिथिला रीजन में बसे लोगों की सबसे बड़ी शिकायत इस रेलने पुल के फिर से न होने की थी. फिर से न होने का मतलब था कि 88 साल पहले रेल के पुल की वजह से जो दूरियां चंद मिनटों की थी, वो घंटों में बदल गई थी. चूंकि कोसी नदी पर पुल न होने की वजह से एक से दूसरी तरफ जाने के लिए मौजूदा समय में लोगों को काफी लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. ऐसे में रेलवे पुल से ट्रेनों का परिचालन शुरू होने से अब लोग सीधी यात्रा कर सकेंगे. जानकारी के मुताबिक, रेलवे के नक्शे पर मौजूद झंझारपुर (मधुबनी) से निर्मली (सुपौल) के बीच अब सीधी ट्रेन सेवा शुरू हो जाएगी. इस पुल के शुरू होने से झंझारपुर से सहरसा की दूरी तकरीबन 100 किलोमीटर तक कम हो जाएगी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव करेंगे लोकार्पणरेल मंत्री अश्विनी वैष्णव नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मधुबनी जिले के झंझारपुर रेलवे स्टेशन से सुपौल जिले के निर्मली रेलवे स्टेशन और निर्मली से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन परिचालन का उद्घाटन करेंगे.
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साल 2020 में पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
पीएम मोदी ने साल 2020 के सितंबर महीने में कोसी रेल ब्रिज का उद्घाटन किया था. इससे पहले देश में कई सरकारें आई थी, लेकिन इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में मोदी सरकार को ही सफलता मिली. अब मोदी सरकार में ही इस रेल लाइन पर उद्घाटन के बाद रविवार से दरभंगा जिले के लहेरियासराय स्टेशन से झंझारपुर होते हुए सहरसा तक रेल सेवा पूरी तरह से बहाल हो जाएगी. फिलहाल इस रेलखंड पर प्रतिदिन 3 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन होगा. ये ट्रेनें लहेरियासराय से दरभंगा, सकरी, झंझारपुर, तमुरिया, निर्मली, सरायगढ़ और सुपौल होते हुए सहरसा तक जाएगी.
HIGHLIGHTS
- कोसी पर बने पुल की होगी शुरुआत
- मोदी सरकार को मिथिला के लोगों की सौगात
- बिहार का उत्तरी-पूर्वी हिस्सा कहलाता है मिथिलांचल
Source : Shravan Shukla