पाकिस्तान सरकार ने विपक्ष के हंगामे और बहिष्कार के बीच मौत की सजा पाए भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार प्रदान करने के लिए नेशनल असेंबली के माध्यम से एक विधेयक पेश किया है. पाकिस्तान सरकार ने विपक्ष के हंगामे और बहिष्कार के बीच मौत की सजा पाए भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार प्रदान करने के लिए नेशनल असेंबली के माध्यम से एक विधेयक पेश किया है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान की संसद ने कुलभूषण जाधव को उच्च अदालतों में अपील करने की मंजूरी देने वाले बिल को अपनी स्वीकृति दे दी है. लेकिन देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव का केस लड़ने वाले मुकुल रोहतगी ने कहा है कि इससे न्याय नहीं मिलेगा.
पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि पाकिस्तान में न्यायिक व्यवस्था और देश का माहौल ऐसा है कि वहां भारत को कट्टर दुश्मन माना जाता है. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि सिर्फ एक भारतीय वकील मिलने और ऊपर के अदालत में अपील करने से कुलभूषण जाधव को न्याय मिलेगा. उन्होंने आगे कहा कि हमें इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में वापस जाना चाहिए, और फिर से यह निवेदन करना चाहिए कि या तो उन्हें (कुलभूषण जाधव को) अवैध सजा के आधार पर रिहा किया जाए या आईसीजे को बताएं कि उनकी अपील को श्रीलंका या सिंगापुर जैसे तटस्थ देश में सुनी जाए.
बता दें कि सैन्य अदालत की ओर से मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव को ऊपरी अदालत में अपील करने का अधिकार नहीं था. इस पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी. इस बिल में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुरूप मौत की सजा की समीक्षा करने और पुर्नविचार करने के ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. जानकारों का कहना है कि कुलभूषण जाधव के पाकिस्तान की उच्च अदालतों में अपील करने पर उनके भारत वापस भेजे जाने की संभावना बन सकती है.
पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव को वर्ष 2016 में बलूचिस्तान से पकड़ा गया था और उसे जासूसी के आरोप में उसी साल एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज किया है और कहा कि कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से किडनैप किया गया.
Source : Avinash Prabhakar