भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सेक्रेटरी और वरिष्ठ आईएएस अफसर अपूर्व चंद्रा ने कहा है कि नए लेबर कोड के तहत प्रतिदिन काम के 12 घंटे की व्यवस्था पर मजदूर संघों की आपत्तियों पर मंत्रालय विचार कर रहा है. चार नए लेबर कोड को लागू करने के लिए संबंधित नियम-कायदे बनाने में मंत्रालय जुटा है. अगले कुछ ही सप्ताह में लागू होने जा रहे नए लेबर कोड से देश में श्रम सुधार धरातल पर उतरेंगे. नए श्रम कानूनों से मजदूरों और कर्मचारियों के हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होगा. अपूर्व चंद्रा, वर्ष 1988 बैच के महाराष्ट्र काडर के वरिष्ठ आईएएस अफसर हैं. वह अक्टूबर, 2020 से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव जैसी महत्वपूर्ण कुर्सी संभाल रहे है. इससे पूर्व वह रक्षा मंत्रालय और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय में अहम पदों पर कार्य करते हुए कई नीतियां बनाने में अहम योगदान दे चुके हैं.
यहां श्रम शक्ति भवन में सोमवार को कहा कि सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा ने प्रतिदिन काम के 12 घंटे की नई व्यवस्था से जुड़ी कई शंकाओं का समाधान करने की कोशिश की. उन्होंने स्पष्ट कहा, "देखिए, सप्ताह में काम के अधिकतम 48 घंटे ही होंगे. अगर प्रतिदिन कोई 8 घंटे काम करता है तो फिर उसके लिए 6 डे वर्किं ग वीक होगा. अगर कोई कंपनी, अपने कर्मचारी से प्रतिदिन 12-12 घंटे काम कराती है तो फिर चार दिन में ही कर्मचारी के 48 घंटे पूरे हो जाएंगे, इस प्रकार उसे तीन दिन की छुट्टी देनी होगी. प्रतिदिन काम के घंटे बढ़ेंगे, तो उसी अनुरूप छुट्टी भी देनी होगी. काम के घंटे बढ़ने पर 5 या 4 डेज वर्किं ग होगा. अब यह कर्मचारी और नियोक्ता(इंपलायर) के बीच आपसी सहमति से तय होगा कि वह अपने लिए क्या उचित मानते हैं. कोई जबरन किसी से प्रतिदिन 12 घंटे काम नहीं करा सकेगा."
उन्होंने कहा, "लेबर यूनियन ने काम के 12 घंटे किए जाने पर आपत्तियां दर्ज कराई हैं. जिन पर मंत्रालय गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है. काम के घंटों से जुड़े प्रावधानों पर अभी नियम-कायदे बनाए जा रहे हैं. अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है. नियम बनने के बाद बातें और स्पष्ट हो जाएंगी. मंत्रालय पूरा भरोसा देता है कि प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों का शोषण किसी भी कीमत पर नहीं कर पाएंगे."
4 तरह के नए लेबर कोड को लेकर सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा ने बताया कि, "इससे पहली बार देश में हर किस्म के वर्कर्स को अब मिनिमम वेजेज(न्यूनतम मजदूरी) मिल सकेगी. प्रवासी मजदूरों के लिए नई-नई योजनाएं लाई जा रही हैं. प्रोविडेंट फंड को इंडिविजुअल करने की सुविधा होगी. जिससे सभी तरह के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी. संगठित हों या असंगठित सभी श्रमिक ईएसआई से कवर्ड होंगे. महिलाओं को हर कटेगरी में काम करने की अनुमति मिलेगी. महिलाएं नाइट शिफ्ट भी कर सकेंगी."
उन्होंने बताया कि, "कोड ऑन वेजेज, इंडस्ट्रियल रिलेशंस, अकूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किं ग कंडीशन्स और सोशल सिक्योरिटी जैसे चार तरह के लेबर कोड लागू होने से कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी. चारों लेबर कोड के नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है. अगले कुछ ही हफ्तों में नियम बनकर तैयार हो जाएंगे."
राज्य सरकारों के भी अपने श्रम कानून हैं और केंद्र सरकार नए श्रम कानून बना रही है तो टकराव की स्थिति हो सकती है? आईएएनएस के सवाल पर सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा ने बताया, "इस विषय पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को अपने नियम बनाने के अधिकार हैं. राज्य सरकारें स्वायत्त हैं. वे अपने हिसाब से नियम-कानून बनाने के लिए स्वंतंत्र हैं. हालांकि, टकराव की स्थिति में केंद्र के ही नियम मान्य होते हैं."
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सेक्रेटरी ने बताया कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक पोर्टल भी बनाया जा रहा है. इसी साल मई, जून में पोर्टल बनकर तैयार हो जाएगा. इससे प्रवासी मजदूरों सहित असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के रजिस्ट्रेशन से उचित आंकड़े मिल सकेंगे, जिससे उनके लिए लाभकारी नीतियां बनाने में आसानी रहेगी. पोर्टल पर पंजीकृत मजदूरों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत मुफ्त में एक साल का दुर्घटना, अपंगता बीमा प्रदान किया जाएगा.
Source : IANS