मोदी शासन में शिक्षा, स्वास्थ्य से बड़े पैमाने पर ध्यान हटा : अमर्त्य सेन

नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सत्ता में आने के बाद से सामाजिक क्षेत्रों से ध्यान हटा है।

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Vineeta Mandal
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मोदी शासन में शिक्षा, स्वास्थ्य से बड़े पैमाने पर ध्यान हटा : अमर्त्य सेन

नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन (फाइल फोटो)

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नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सत्ता में आने के बाद से सामाजिक क्षेत्रों से ध्यान हटा है। देश में जरूरी एवं बुनियादी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अमर्त्य सेन ने शनिवार को अपनी नई पुस्तक 'भारत और उसके विरोधाभास' पर चर्चा के दौरान कहा, 'चीजें बहुत खराब हो गई हैं। इस सरकार के आने से पहले से ही चीजें बिगड़ गई थीं। हमने शिक्षा और स्वास्थ्य में पर्याप्त काम नहीं किया है और 2014 के बाद से इन क्षेत्रों में हम गलत दिशा की ओर बढ़े हैं।'

इस किताब के सहलेखक अर्थशास्त्री जीन ड्रेज हैं।

भारत में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद भारत में विरोधाभास को इंगित करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, '20 साल पहले इस क्षेत्र के छह देशों में भारत श्रीलंका के बाद दूसरा बेहतरीन देश था लेकिन अब यह दूसरा सबसे खराब देश है।'

उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान की समस्याओं की वजह से इस्लामाबाद ने हमें बचा लिया है।'

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नोबल पुरस्कार विजेता ने कहा कि लेकिन भारत के लोगों को उन चीजों को लेकर गौरवान्वित होने की जरूरत है, जो हमारे पास हैं लेकिन साथ मैं कई चीजों पर शर्मिदा होने की भी जरूरत है।

उन्होंने कहा कि भारी असमानताओं के बावजूद ध्यान आकर्षित करना संभव है।

एक महान लेखक जिनकी मैं प्रशंसा करता हूं, वीएस नायपॉल, जिन्होंने 'ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास' जैसा उपन्यास लिखा था। उन्हें यह भी लिखना चाहिए था कि 13वीं शताब्दी के बाद क्या हुआ, जब हिंदू मंदिरों और हिंदू सभ्यता का विनाश हुआ। यह वह दौर था जब नए विचार आ रहे थे।

सेन कहते हैं, 'अगर आप वी.एस नायपॉल के एकाग्रचित्त को भंग कर सकते हैं तो आप सबसे बुद्धिमान लोगों का एकाग्रचित्त भंग कर सकते हैं। नतीजन हम पतन की ओर जा रहे हैं और अगर ऐसा है तो हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे।'

उन्होंने कहा, 'यदि हम स्वास्थ्य की बात करें तो हम बांग्लादेश की माली हालत के बावजूद उससे पीछे है और यह इसलिए क्योंकि बांग्लादेश की तुलना में भारत में इस क्षेत्र की ओर ध्यान हट गया है।'

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Source : IANS

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