चीन अपनी विस्तारवाद नीति को बढ़ावा दे रहा है. वह लगातार भारतीय सीमा पर अपनी गतिविधियों को तेज कर रहा है. यहां पर वह रेल नेटवर्क और सड़कों का जाल बिछा रहा है. इस बीच भारत सरकार ने लद्दाख की ऑल वेदर कनेक्टिविटी के लिए शिंकुला टनल (Shinkun La) के निर्माण कार्य को मंजूरी दी है. इससे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद मिलेगी. इस सुरंग से यातायात आसान होगा. इसके साथ सफर भी छोटा हो जाएगा. भारत चीन सीमा को लेकर मोदी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े निर्णय लिए हैं. इन निर्णयों में भारत चीन सीमा की निगरानी को बल मिलेगा. आईटीबीपी को सात अतिरिक्त बटालियन का साथ मिलेगा. चीन से सटे गांवों में पलायन रोकने में मदद मिलेगी.
चीन को मिलेगा जवाब
मौसम के कारण यातायात में बड़ी समस्या देखी गई है. यहां पर कनेक्टिविटी पर असर पड़ा है. टनल के कारण यहां पर आवागमन और सेना की चौकसी बढ़ेगी. लद्दाख में नीमू करगिल के साथ लेह के नजदीक है. इसका अर्थ है कि अगर करगिल-सियाचिन सेक्टर या पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) पर तनाव बढ़ता है तो भारतीय सेना को सैन्य गतिविधियों में मदद मिलेगी.
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सबसे लंबी और ऊंची सुरंग मानी गई
इस परियोजना की कुल लागत 1681.51 करोड़ रुपये तय की गई है. इसे दिसंबर 2025 तक पूरा किया जा सकेगा. यह विश्व की सबसे लंबी और ऊंची सुरंग मानी गई है. इसकी 16580 फीट ऊंचाई है, वहीं लंबाई है 4.25 किलोमीटर है. इस तरह से जांस्कर घाटी का पर्यटन बढ़ने वाला है. यहां की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. यहां का इलाका अभी विकास से दूर है.
फिलहाल यहां दो रास्ते हैं
लद्दाख की कनेक्टिविटी को बढ़ाने का प्रयास हो रहा है. एक रास्ता श्रीनगर करगिल लेह (Srinagar-kargil-leh) है, वहीं दूसरा रास्ता मनाली उप्शी लेह एनएच1 (Manali-Upshi-leh NHI) है. इसके अलावा तीसरा मार्ग, नीमू पदम दार्चा रोड (Nimu-Darcha Road) है. इसका निर्माण जारी है. ऑल वेदर कनेक्टिविटी के कारण यहां पर टनल तैयार किया गया है. टनल बनने के बाद यहां पर आवागमन ठीक होगा. भारी बर्फबारी की वजह से यहां के रास्ते अकसर बंद रहते हैं. टनल बन जाने से यहां पर यातायात सुचारू हो जाएगा.
Source : News Nation Bureau