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लद्दाख गतिरोध: चीन से 7वें दौर की वार्ता से पहले शीर्ष मंत्रियों और सैन्य कमांडरों ने बनाई रणनीति

इस बार होने वाली कोर कमांडर की यह 7वें दौर की बैठक होगी और अबकी बार लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के लिए रूपरेखा तैयार करने का विशेष एजेंडा रहेगा.

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Dalchand Kumar
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Ladakh standoff

लद्दाख गतिरोध: चीन के साथ वार्ता से पहले हाईलेवल बैठक में बनी रणनीति( Photo Credit : ANI)

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पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच अभी गतिरोध खत्म नहीं हुआ है. हालांकि बैठकों को दौर जारी, जिसके जरिए तनाव को कम करने की कोशिश की जा रही है. इसी कड़ी में 12 अक्टूबर को एक बार फिर भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक होने वाली है. इससे पहले शुक्रवार को चीनी सेना पीएलए के साथ होने वाली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के रणनीति पर चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) के शीर्ष स्तर के मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों ने बातचीत की और पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा हालात का जायजा लिया.

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आपको बता दें कि चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) में विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के अलावा तीनों सेना प्रमुख आते हैं. इस बार होने वाली कोर कमांडर की यह 7वें दौर की बैठक होगी और अबकी बार लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के लिए रूपरेखा तैयार करने का विशेष एजेंडा रहेगा. सूत्रों ने बताया कि सीएसजी के शीर्ष मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में हालात की समीक्षा की और सोमवार को होने वाली वार्ता में उठाये जाने वाले प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.

सूत्रों ने बताया कि बैठक में सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने पूर्वी लद्दाख की वर्तमान परिस्थितियों के बारे में जानकारी दी. सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष वार्ता में जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने तथा क्षेत्र में नये सिरे से तनाव पैदा कर सकने वाली कार्रवाई से बचने के लिए और कदम उठाने पर विचार कर सकते हैं. विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बन सकते हैं, जिसका नेतृत्व भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे.

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उल्लेखनीय है कि दोनों पक्षों ने 21 सितंबर को सैन्य वार्ता के पिछले दौर के बाद कुछ फैसलों की घोषणा की थी, जिनमें अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिकों को नहीं भेजना, एकपक्षीय तरीके से जमीनी हालात को बदलने से बचना और चीजों को और जटिल बनाने वाली कार्रवाइयों से बचना शामिल है. 

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