लखीमपुर खीरी में कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री के बेटे का किसान आंदोलकारियों को कार से रौंदने औऱ इसकी प्रतिक्रियास्वरूप फिर हुई हिंसा को लेकर कांग्रेस न सिर्फ काफी मुखर है, बल्कि योगी सरकार को घेरने की कोशिशों में भी है. एक लिहाज से देखें तो लखीमपुर खीरी जाने पर अड़ी और इस वजह से सीतापुर गेस्ट हाउस में हिरासत में ली गईं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अर्से बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ असर छोड़ती दिखीं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अलावा कांग्रेस शासित राज्य पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नेता भी इस मसले पर बेहद सक्रिय हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो राहुल गांधी के साथ ही लखीमपुर पहुंचे. जाहिर है कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश में है. गौर करने वाली बात यह है कि इस मसले पर कांग्रेस की सक्रियता मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी से कहीं ज्यादा है.
लखीमपुर मुद्दे से जमीन तैयार कर रही कांग्रेस
कांग्रेस इस मसले को राजनीतिक तौर पर भुनाते हुए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश में है. हालांकि यक्ष प्रश्न यही है कि सूबे में हाशिये पर चल रही कांग्रेस के लिए क्या प्रियंका और राहुल गांधी तारणहार साबित होंगे. योगी सरकार के खिलाफ कांग्रेस का यह माहौल वोटों में कितना तब्दील होगा, यह भी समय ही बताएगा. गौरतलब है कि पार्टी का संगठन सूबे के लगभग सभी जिलों में जीर्ण-शीर्ण हालत में. ऐसे में इस माहौल को वोटों में तब्दील कर पाना देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए आसान नहीं होगा. हालांकि इससे कांग्रेस को कुछ फायदा जरूर होने की उम्मीद है, लेकिन यह भी तय है कि कांग्रेस इसके बावजूद भाजपा को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में न तो आज है और ना ही कल हो सकेगी.
यह भी पढ़ेंः आतंकियों की कायराना हरकत, अब प्रिंसिपल औऱ टीचर की गोली मार हत्या
कांग्रेस के उभार से सपा को नुकसान
ऐसी स्थिति में यदि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में उभरती है, तो इसका बड़ा नुकसान समाजवादी पार्टी को उठाना पड़ेगा. यह स्थिति भाजपा से ज्यादा सपा के लिए चिंताजनक है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का वोटबैंक काफी हद तक एक ही है. ऐसे में जिन सीटों पर कांग्रेस मजबूत होगी, वहां वह सपा का ही वोट काटेगी. ऐसी स्थिति में भाजपा को उन सीटों पर फायदा हो सकता है, जहां वह करीबी अंतर से पिछड़ रही हो. सपा और कांग्रेस के बीच वोटों के बंटवारे से भाजपा को फायदा मिल सकता है. राजनीतिक विश्लेषक यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का सीधा मुकाबला सपा से ही होने की उम्मीद जता रही है.
यह भी पढ़ेंः बाराबंकी में ट्रक और यात्री बस की टक्कर, 15 लोगों की मौत
सपा का काम बिगाड़ेगी कांग्रेस
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था. अखिलेश यादव ने समझौते के तहत 100 सीटों पर कांग्रेस को प्रत्याशी उतारने का मौका दिया था. यह अलग बात है कि कांग्रेस 7 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी. इस परिणाम के बाद अब सपा ने अपने दम बगैर गठबंधन के लड़ने का फैसला लिया है, लेकिन इस बार कांग्रेस की ताकत में इजाफा होता है तो वह भाजपा से ज्यादा अखिलेश की वोटों में ही सेंध लगाएगी. जाहिर है कांग्रेस भाजपा के खिलाफ सीधे मुकाबले की स्थिति में खुद भी ज्यादा सीटें जीतने की स्थिति में नहीं है. यह बात बीजेपी के लिए राहत भरी है, तो सपा के लिए खासी नुकसानदेह.
HIGHLIGHTS
- कांग्रेस लखीमपुर हिंसा मुद्दे से तैयार कर रही अपनी जमीन
- फिर भी बीजेपी की तुलना में सपा को पहुंचाएगी अधिक नुकसान
- कांग्रेस की बढ़त भाजपा को करीबी अंतर वाली सीटों पर देंगे मदद