लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली ज़मानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. यह याचिका गाड़ी से कुचल कर मारे गए किसानों के परिजनों की ओर से दायर हुई है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के जरिए याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में परिजनों ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से आरोपी को ज़मानत के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख नहीं किया है. लिहाज़ा, उन्हें अर्जी लगानी पड़ रह रही है.
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने ज़मानत देते वक़्त अपराध की गम्भीरता और आशीष मिश्रा के खिलाफ ठोस सबूतों को नज़रंदाज़ कर दिया गया. याचिका कर्ताओं ने दलील दी है कि आशीष मिश्रा एक ताकतवर शख्सियत है. लिहाजा, वह ज़मानत पर रहते वक़्त सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, लिहाजा उनकी जमानत तत्काल रद्द की जाए. याचिका में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़ितों के वकील तकनीकी दिक़्क़तों की वजह से अपनी बात नहीं रख पाए और उन्हें फिर से सुने जाने की मांग हाईकोर्ट ने खारिज कर दी.
ये भी पढ़ेंः तीन चरण बीतने के बाद सोनिया गांधी को आई यूपी चुनाव की याद, मोदी-योगी की जोड़ी को लेकर दिया ये बड़ा बयान
ये दूसरी बार है कि आशीष मिश्रा की इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली ज़मानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इससे पहले हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखने वाले वकील शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने याचिका दायर कर ज़मानत रद्द करने की मांग की थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि आशीष मिश्रा के रिहा होने से पीड़ित परिवारों में भय का माहौल है. गौरतलब है कि इस मामले में SIT ने अभी तक मंत्री से पूछताछ तक नहीं की है.
HIGHLIGHTS
- जमानत के खिलाफ यूपी सरकार नहीं गई थी सुप्रीम कोर्ट
- परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट से की जमानत रद्द करने की मांग
- याचिका में सबूतों से छेड़छाड़ की जताई संभावना