Lal Bahadur Shastri Jayanti 2019: 2 अक्टूबर यानि आज महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 150वीं जयंती है. वहीं आज भारत रत्न (Bharat Ratna) से विभूषित देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की भी 116वीं जयंती मनाई जा रही है. लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय
में 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था. दुनिया उन्हें सादगी, सरलता और आम जनता से सीधे संवाद की वजह से जानती है. आज की इस रिपोर्ट में हम लाल बहादुर शास्त्री के एक गरीब परिवार से निकलकर देश के प्रधानमंत्री बनने तक के सफर की चर्चा करेंगे. इसके अलावा उनके सिर्फ एक आह्वान पर देशवासियों ने कैसे एक दिन का उपवास रख लिया था इस पर भी चर्चा करेंगे.
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नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री को बनाया गया था प्रधानमंत्री
पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया. यह वह समय था जब देश खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा था. वहीं उसी समय 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध भी हो गया था. उस समय देश के हालात काफी नाजुक थे. लाल बहादुर शास्त्री के सामने युद्ध से निपटने और युद्ध की वजह से देश में अन्न की कमी से लड़ने की चुनौती थी. भुखमरी के संकट में लाल बहादुर शास्त्री के द्वारा उस समय उठाए गए ऐतिहासिक फैसले को आज भी बतौर नजीर पेश किया जाता है. दरअसल, उन्होंने उस समय सैलरी लेना बंद कर दिया था. इसके अलावा खर्च बचाने के लिए घर का काम भी खुद ही करने लग गए थे.
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अमेरिका से अनाज लेने पर देश का स्वाभिमान खत्म हो जाता, इसीलिए 1 दिन के उपवास का आह्वान किया
उसी समय युद्ध की वजह से देश में खाद्यान्न की भारी किल्लत हो गई. वहीं अमेरिका ने भी भारत को होने वाले अनाज एक्सपोर्ट को रोकने की धमकी दे दी. इन हालातों में देश के लिए काफी मुश्किल दौर था. ऐसे में लाल बहादुर शास्त्री ने जनता से अपील की कि लोग हफ्ते में 1 दिन का खाना 1 वक्त के लिए छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह समय जल्दी ही गुजर जाएगा और तब तक जनता से सहयोग की अपील है.
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उनके इस आह्वान का जनता पर जबर्दस्त असर पड़ा और लोगों ने यहां तक कह दिया कि वे हफ्ते भर तक चूल्हा नहीं जलाएंगे. गौरतलब है कि उस समय अमेरिका ने शर्तों के साथ भारत को अनाज एक्सपोर्ट करने की बात कही थी, लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जानते थे कि अगर उन्होंने अमेरिका की बात मानी तो देश का स्वाभिमान खत्म हो जाएगा. शास्त्री ने कहा था कि अगर हमने किसी देश द्वारा अनाज देने की पेशकश को स्वीकार कर लिया तो यह देश के स्वाभिमान पर चोट होगी. उन्होंने जनता से आह्वान किया था 'पेट पर रस्सी बांधो, साग-सब्जी ज्यादा खाओ, सप्ताह में एक दिन एक वक्त उपवास करो, देश को अपना मान दो.