रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले भारतीय जनता पार्टी के लौहपुरुष और राम मंदिर आंदोलन के अगुवा लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर अवश्य बनना था. राम मंदिर का स्वप्न बहुतों ने लोगों ने देखा था. मंदिर बनना नियति ने तय किया था. कई लोग जबरन आस्था को छिपा रहे थे, कई अनुभवों ने जीवन को प्रभावित किया. मंदिर पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए 96 साल के आडवाणी ने कहा कि रथयात्रा से जनसैलाब जुड़ा था. आज अटल जी कमी महसूस कर रहा हूं. पीएम हर लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे.
देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने हिंदी साहित्य की पत्रिका 'राष्ट्रधर्म' के लिए 'राम मंदिर निर्माण-एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति' शीर्षक से एक लेख लिखा है. इसमें उन्होंने ने लिखा, "इस ऐतिहासिक मौके पर अटल जी की याद आ रही है." वहीं, पीएम मोदी के लिए आडवाणी ने लिखा, "मोदी हर भारतीय का प्रतिनिधित्व करेंगे." राम मंदिर आंदोलन के लिए आडवाणी ने सोमनाथ से रथ यात्रा निकाली थी. इसे याद करते हुए उन्होंने लिखा, "रथयात्रा को करीब 33 साल पूरे हो चुके हैं. 25 सितंबर, 1990 की सुबह रथयात्रा शुरू करते समय हमें यह नहीं पता था कि प्रभु राम की जिस आस्था से प्रेरित होकर यह यात्रा शुरू की जा रही है, वह देश में आंदोलन का रूप ले लेगा."
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राम मंदिर का स्वप्न देखने वाले बहुतेरे
उन्होंने लेख में आगे लिखा, "रथयात्रा के समय ऐसे कई अनुभव हुए, जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया. सुदूर गांव के अंजान ग्रामीण रथ देखकर भाव-विभोर होकर मेरे पास आते. वे प्रणाम करते. राम का जयकारा करते. यह इस बात का संदेश था कि पूरे देश में राम मंदिर का स्वप्न देखने वाले बहुतेरे हैं. वे अपनी आस्था को जबरन छिपाकर जी रहे थे. 22 जनवरी, 2024 को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही उन ग्रामीणों की दबी हुई अभिलाषा भी पूर्ण हो जायेगी."
आडवाणी ने लिखा थी रथयात्रा
लालकृष्ण आडवाणी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योता मिला, जिसे उन्होंने अपना सौभाग्य समझकर श्रद्धापूर्वक स्वीकार कर लिया. लालकृष्ण आडवाणी ने सितंबर 1990 में सोमनाथ मंदिर से रथयात्रा शुरू की थी. हालांकि, बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने उनका रास्ता रोककर गिरफ्तार करवा लिया.