देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने विदाई समारोह के दौरान स्पीच देते हुए देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। हामिद अंसारी ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र की पहचान इससे होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली है।
अपने कार्यकाल के अखिरी दिन अंसारी ने बुधवार को भी देश में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों के लिए डर और असुरक्षा के महौल की बात कही थी।
इसके बाद उन्होंने गुरुवार को भी अपनी स्पीच में यह मुद्दा फिर से उठाया। अंसारी ने इशारों में अपने भाषण के जरिए सरकार को अल्पसंख्यकों के प्रति इशारों में नसीहत दी है।
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अंसारी ने कहा, 'मैंने 2012 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हवाले से कुछ कहा था। मैं आज उनके शब्दों को फिर से कोट करना चाहता हूं, किसी लोकतंत्र की पहचान इस बात से होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली हुई है।'
अंसारी ने आगे कहा, 'लोकतंत्र में विपक्षी समूहों को स्वतंत्र होकर और खुलकर सरकार की नीतियों की आलोचना करने की इजाजत न हो तो वह अत्याचार में बदल जाती है।'
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इस स्पीच के बाद पूरे सदन में जमकर तालियां बजाई गईं। हालांकि फिर अंसारी ने कहा कि लोकतंत्र की सफलता चर्चा में है न कि चर्चा बाधित करने में इसलिए संसद को बाधित करने की बजाए अल्पसंख्यक केवल आलोचना ही करें।
बता दें कि हामिस अंसारी 2007 में उपराष्ट्रपति बने थे। इस दौरान उन्होंने इस पद पर रहते हुए पूरे 2 कार्यकाल पूरे किए हैं।
Source : News Nation Bureau