लॉ कमीशन ने सुझाव दिया है कि शादी के 30 दिनों के भीतर मैरिज रजिस्ट्रेशन कराना जरूर कर दिया जाये। साथ ही कमीशन ने यह भी सिफारिश की है कि बिना किसी उचित कारण के मैरिज रजिस्ट्रेशन न कराने पर प्रति दिन के हिसाब से फाइन लगाया जाये।
सूत्रों के मुताबिक सरकार जल्द ही इसपर कोई ऐलान कर सकती है।
इस कानून के एक बार अमल में आने के बाद जो शादीशुदा जोड़े अपना रजिस्ट्रेशन कराने में असफल होते है, वह उन सभी सुविधाओं से वंचित रह जायेंगे जिनमे मैरिज सर्टिफिकेट की जरुरत पड़ती है।
यूपीए सरकार ने दूसरे शासनकाल में राज्यसभा में एक बिल पारित कर मैरिज रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की थी। राज्यसभा में बिल पारित हो गया था लेकिन लोकसभा में पारित न हो पाने के कारण ठंडे बस्ते मे चला गया।
2014 में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने अपने एक बयान में मैरिज रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने के पक्ष में कहा था,'जन्म-मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) बिल, 2012 जो राज्यसभा में 7 मई, 2012 को पारित हुआ था, उसका मकसद सभी का अनिवार्य रूप से मैरिज रजिस्ट्रेशन कराना था। भले ही वो किसी भी धर्म के हो। अब बिल को नए तरीके से पेश करने की कोशिश जारी है।'
इसी दौरान खबरें है की योगी सरकार सभी धर्मो के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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Source : News Nation Bureau