सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस की नियुक्ति पर पूछे गए सवाल पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार की नीयत पर संदेह नहीं करना चाहिए। सोमवार को कानून मंत्री ने सरकार के चार साल के कामकाज का लेखाजोखा पेश किया।
इस दौरान चल रही प्रेस कान्फ्रेंस में उनसे जस्टिस रंजन गोगोई को अगला सीजीआई के रूप में नियुक्ति को लेकर सवाल किया गया।
सवाल के जवाब में प्रसाद ने कहा, 'मौजूदा चीफ जस्टिस अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हैं, यह परंपरा रही है। सिफारिश के बाद सरकार उसे देखेगी।'
कानून मंत्री ने कहा कि सिफारिश आने से पहले सरकार की नीयत पर सवाल उठाना सही नहीं है। गौरतलब है कि वर्तमान सीजेआई दीपक मिश्रा दो अक्तूबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
बता दें कि इसी साल जनवरी में चीफ जस्टिस के प्रशासनिक कामकाज और केस आवंटन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सवाल उठाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
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इसी के बाद प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गोगोई की नियुक्ति को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया था।
वहीं जजों की नियुक्ति के लिए बनाए जाने वाले MOP (मेमोरैंडम ऑफ प्रोसिजर) के बारे में कानीन मंत्री ने कहा कि उस बारे में बातचीत चल रही है और अभी फाइनल नहीं हो पाया है।
इस बारे में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली कॉलीजियम ने अपनी सिफारिश सरकार को भेज दी है और फाइल सरकार के पास है।
कानून मंत्री ने बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि 10 साल से ज्यादा समय से पेंडिंग केसों के निपटारे को फास्ट ट्रैक किया जाए।
प्रसाद ने बताया कि फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या 2015 में 281 थी जो बढ़कर 727 हो चुकी है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक सांसद और विधायकों के खिलाफ पेंडिंग केसों के निपटारे के लिए स्पेशल कोर्ट बनाए जा रहे हैं, 11 राज्यों में 12 ऐसे स्पेशल कोर्ट बना दिए गए हैं और ऐसे 791 मामलों को ट्रांसफर किया जा चुका है।
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Source : News Nation Bureau