अडानी समूह की कंपनियों में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे कथित आपराधिक साजिश की जांच के लिए केंद्र और सेबी को निर्देश देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, रिपोर्ट से इसके शेयर क्रैश हो गए और निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।
अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के अमेरिकी निवासी नैट एंडरसन और उनकी भारतीय संस्थाओं ने एक आपराधिक साजिश रची और उसके बाद 25 जनवरी, 2023 को उन्होंने शोध रिपोर्ट के रूप में एक मनगढ़ंत खबर जारी की, जो अडानी समूह की कंपनियों के लिए नुकसानदायक थी। याचिका में दलील दी गई है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद जब शेयर बाजार में गिरावट आई तो उन्होंने सबसे कम दर पर अपनी शॉर्ट सेल की स्थिति को बेहतर कर लिया।
भारतीय अरबपति गौतम अडानी के बारे में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से उनके 100 बिलियन डॉलर से अधिक डूब गए और उन्हें वैश्विक अमीर सूची में नीचे धकेलते हुए स्टॉक रूट का नेतृत्व किया है। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज किया।
शर्मा की दलील में कहा गया है: उन्होंने (हिंडनबर्ग) भारत के नागरिकों को नुकसान पहुंचाकर अरबों का मुनाफा हासिल किया। हालांकि, सेबी ने विशेष रूप से अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में व्यापार को निलंबित नहीं किया और शॉर्ट सेलर्स को निर्दोष निवेशकों का शोषण करने दिया।
याचिका में संवैधानिक सवालों की ओर इशारा किया गया है जो इस मुद्दे में शामिल हैं, जिस पर फैसला किया जाना चाहिए: क्या सेबी निवेशकों की सुरक्षा के लिए शॉर्ट सेलिंग स्टॉक में ट्रेडिंग को निलंबित करने के लिए बाध्य नहीं है? क्या मनगढ़ंत कृत्रिम साधनों के माध्यम से मार्केट को क्रेश करके शेयर मार्केट में स्टॉक को क्रेश करके जानबूझकर शॉर्ट सेलिंग करना आईपीसी की धारा धारा 420 और 120-बी सहपठित सेबी अधिनियम 1992 की धारा 15एचए की के तहत दंडनीय धोखाधड़ी नहीं है।
याचिका में आईपीसी की धारा 420 और 120-बी (भारतीय दंड संहिता) के तहत धारा 15एचए सेबी अधिनियम के साथ शॉर्ट सेलर्स (एंडरसन और भारत / यूएसए में उनके सहयोगियों) के खिलाफ मुकदमा चलाने और प्राथमिकी दर्ज करने की जांच की मांग की गई है। साथ ही उन निवेशकों के लिए मुआवजे की भी मांग की गई है, जिन्हें शेयर की कीमत में गिरावट के कारण नुकसान उठाना पड़ा।
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Source : IANS