Leader Of Opposition: देश की 18वीं लोकसभा कई मायनों में अहम है. इसको लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी कई बार अपने संबोधन में कह चुके हैं. क्योंकि इस बार न सिर्फ ये देश के लिए एक युवा आंकड़ा है बल्कि इस बार संसद में सबसे ज्यादा युवा सांसद भी पहुंचे हैं. सत्ता पक्ष के लिए तो यह लोकसभा खास है ही क्योंकि लगातार तीसरी बार देश में एनडीए की सरकार बनी है. लेकिन विपक्ष के लिए भी ये मौका कुछ कम नहीं है खास तौर पर गांधी परिवार के लिए 18वीं लोकसभा कुछ अलग है. एक तोर इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन बीते दो चुनावों को मुकाबले अच्छा रहा वहीं दूसरा इस बार के प्रदर्शन ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को संजीवनी देने का काम किया है.
राजनीतिक करियर में राहुल गांधी के लिए ये प्रदर्शन काफी मायने रखता है, कांग्रेस जिस बुरे दौर से गुजर रही थी उसमें उनके शीर्ष नेता या यूं कहें गांधी परिवार की वापसी जरूरी थी. राहुल गांधी के नेतृत्व में 10 साल बाद कांग्रेस ने लोकसभा में सम्मानजनक आंकड़ा छुआ है. खुद राहुल गांधी दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते.
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यह जीत भी छोटी नहीं बल्कि बड़े अंतर वाली रही. खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र से जहां डेढ़ लाख के आस-पास वोटों से जीते तो वहीं राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों पर 4 लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की. यानी कुल मिलाकर राहुल गांधी के लिए ये लोकसभा काफी अहम है. लेकिन इन सबके साथ-साथ गांधी परिवार के लिए ये मौका कुछ खास है.
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गांधी परिवार का तीसरे सदस्य को खास पद
लोकसभा में नेता विपक्ष के रूप में चुने जाने के बाद राहुल गांधी अपनी फैमिली के तीसरे ऐसे सदस्य बन चुके हैं जिन्हें ये पद मिला है. इससे पहले राजीव गांधी और सोनिया गांधी इस अहम भूमिका में नजर आ चुके हैं. आपको बता दें कि ऐसे चार बार मौके आए जब नेता विपक्ष का पद खाली रहा. इसमें 1980, 1989, 2014 और 2019 प्रमुख रूप से शामिल हैं.
क्या कहता है नियम
लोकसभा में नेता विपक्ष बनने के लिए एक खास नियम है. इसके तहत कोई नेता विपक्ष तब बन पाता है जब उसे कुल सीटों का 10 फीसदी यानी 54 सांसद हासिल हों. कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा बीते 10 वर्षों में हासिल करना काफी मुश्किल साबित हुआ. लेकिन इस बार पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा और इस आंकड़े के दम पर कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष बनाने में सफल रही.
राहुल गांधी के पास क्या होंगे अधिकार
राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उनके पास कुछ खास अधिकार होंगे. जैसे वह लेखा समिति के प्रमुख होंगे. इसके साथ ही वह सरकार के सभी आर्थिक मामलों की समीक्षा कर सकेंगे. यही नहीं राहुल गांधी अब सरकारी खर्चों पर अपनी टिप्पणी कर सकेंगे. यूं कह सकते हैं नेता प्रतिपक्ष बनने पर राहुल गांधी के एक कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल जाएगा. राहुल गांधी लोकपाल से लेकर सीबीआई प्रमुख और इलेक्शन कमीश्नर समेत चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों में भी अहम दखल रख पाएंगे. यही नहीं केंद्रीय सतर्कता आयोग, सूचना आयोग और एनएचआरसी चीफ के सलेक्शन पर भी उन्हें पैनल में शामिल किया जाएगा.
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पीएम पद के भी बन सकेंगे दावेदार
इसके साथ ही उन्हें छवि और कद में भी बढ़ोतरी होगी. इससे एक और फायदा भविष्य में यह होगा कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार भी आसानी से बन सकते हैं. अगर नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनकी मौजूदगी दमदार रही तो निश्चित रूप से विपक्ष एक जुट उन्हें अपना नेता चुन सकता है.
Source : News Nation Bureau