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मथुरा में श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका में ऐतिहासिक तथ्य के बारे में यहां सबकुछ जानें

मथुरा में श्रीकृष्ण का जन्मस्थान हज़ारों साल से देश- विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है. समय समय पर ही हिंदू राजा कटरा केशव देव में मौजूद श्री कृष्णा के जन्मस्थान पर मन्दिर का निर्माण / पुनः निर्माण करते रहे है.

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nitu pandey
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श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका में ऐतिहासिक तथ्य के बारे में जानें यहां ( Photo Credit : फाइल फोटो)

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मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि (ShriKrishna JanamBhoomi) 13.37 एकड़ भूमि को मुक्त कराने और शाही मस्जिद को जन्मभूमि से हटाने के लिए मथुरा कोर्ट में दाखिल मामले में 30 सितंबर को सुनवाई की जाएगी. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का अपना बड़ा इतिहास है. चलिए बताते मथुरा में श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका में ऐतिहासिक तथ्य -

*मथुरा में श्रीकृष्ण का जन्मस्थान हज़ारों साल से देश- विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है. समय समय पर ही हिंदू राजा कटरा केशव देव में मौजूद श्री कृष्णा के जन्मस्थान पर मन्दिर का निर्माण / पुनः निर्माण करते रहे है.

*1616 में ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने उस जगह पर भव्य मन्दिर बनवाया. ये मंदिर 33 लाख की लागत से बना.

* मुगल बादशाह औरंगजेब ने 31 जुलाई 1658 से लेकर 3 मार्च 1707 तक देश में शासन किया. अपनी कट्टर इस्लामी फितरत के चलते उसने बहुत हिंदू धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. इनमे 1669-70 के बीच कटरा केशव देव मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान वाले मन्दिर को भी ध्वस्त किया गया और ताकत का प्रदर्शन के लिए ईदगाह मस्जिद के नाम से एक इमारत तामीर कर दी गई .

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*औरंगजेब के आदेश पर मथुरा में मन्दिर के ध्वस्त को साबित करने के लिए याचिका में सुप्रसिद्ध इतिहासकर यदुनाथ सरकार और इटली के यात्री निकोलाओ मानुची के यात्रा वृतांत का हवाला दिया गया है.

*याचिका में यदुनाथ सरकार की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा गया है अप्रैल 1669 में औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों और ब्राह्मणों के स्कूलों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. हिंदू संत उद्धव बैरागी को लॉकअप में बंद कर दिया गया. सितंबर 1669 को बनारस में मौजूद विश्वनाथ मंदिर को गिराया गया जनवरी 1670 में मुगल फौज ने मथुरा के केशवराय मंदिर को (जोकि राजा वीर सिंह देव ने 33 लाख की लागत से बनाया था), गिरा दिया उसकी जगह मस्जिद तामीर कर दी गई. यहीं नहीं, यहां मंदिर में मौजूद मूर्तियों को आगरा ले जाकर बेगम शाही मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन कर दिया ताकि नमाज पढ़ने के लिए जाते हुए लोग उनसे होकर आगे बढ़े.

* इसके पूरे सौ साल बाद इतिहास ने फिर करवट ली. 1770 में मराठों ने गोर्वधन में युद्ध में मुगलों को हरा दिया. युद्ध जीतने के साथ ही मराठों का आगरा और मथुरा पर कब्जा हो गया और उन्होंने मुगलों की ग़लती को सुधारते हुए मस्जिद हटाकर वहां दोबारा मंदिर का निर्माण कराया.

*1803 में अंग्रेजों ने पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया. उन्होंने 13.37 एकड़ क्षेत्र वाले पूरे कटरा केशव देव को नजूल जमीन घोषित किया.

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*1815 में जमीन की नीलामी हुई और बनारस के राजा पटनी मल ने पूरी जमीन खरीद ली.

*याचिकाकर्ता के मुताबिक उसके बाद मुस्लिम पक्ष द्वारा कई बार राजा पटनी मल और उनके वंशजों के खिलाफ मुकदमे दायर किये गए लेकिन हर बार कोर्ट ने उनका दावा खारिज कर दिया. हालांकि इसके बावजूद जमीन के एक हिस्से पर मुस्लिन पक्ष का अवैध कब्जा बना रहा.

*1944 में जुगल किशोर बिरला ने राजा के वंशजों से जमीन खरीद ली.

*1958 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ नाम के की नई संस्था का गठन कर दिया गया. एक और तो इस संस्था ने 1964 में जमीन पर नियंत्रण के लिए केस दाखिल किया .वही 1968 में कोर्ट और हिंदू धार्मिक भावनाओं को दरकिनार कर मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया. समझौते के चलते मुस्लिम पक्ष ने अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और इसकी एवज में उसी से सटी जगह उन्हें मिल गई.

* याचिका में कहा गया है कि जिस जगह पर शाही मस्जिद है, वही जगह असल कारागार है जिसमें भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को ज़मीन का कोई मालिकाना हक़ हासिल नहीं था. लिहाजा उन्हें इस समझौते को करने का कोई अधिकार नहीं था. लिहाजा कोर्ट इस समझौते को निरस्त करे.

Source : News Nation Bureau

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