पश्चिम बंगाल के वाम मोर्चे के नेताओं ने रविवार को मांग की कि असम में किसी भी भारतीय नागरिक को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर नहीं छोड़ा नहीं जाना चाहिए। वाम नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस पर मुद्दे के जरिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने का आरोप लगाया।
पश्चिम बंगाल वाम मोर्चे के अध्यक्ष बिमन बोस ने कहा, 'हम चाहते हैं कि सभी भारतीय एनआरसी (NRC) सूची में पंजीकृत हों। किसी को भी शामिल करने से नहीं छोड़ा जाए। असम में एनआरसी मसौदे से बाहर रखे गए 40 लाख लोगों में शामिल सभी भारतीय नागरिकों को तुरंत इसमें पंजीकृत किया जाना चाहिए।'
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मुद्दे से राजनीतिक लाभ उठाने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए एनआरसी का विरोध करने का आरोप लगाते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि बीजेपी और बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस अतीत में नागरिक सूची को लेकर समान सोच रखती थीं।
मिश्रा ने आरोप लगाया, 'बनर्जी बंगाल के लिए एनआरसी का विचार आगे लेकर आई थीं। हम सभी 2005 से उनकी बांग्लादेशी शरणार्थियों से संबंधित मानसिकता को भलिभांति जानते हैं। अब वह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए एनआरसी का विरोध कर रही हैं ताकि लोगों को यह लगे कि तृणमूल और बीजेपी लड़ रही हैं। लेकिन, वास्तव में इस मुद्दे पर उनका रुख समान है।'
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उन्होंने कहा कि बीजेपी और उसके सहयोगी बनर्जी के समर्थन बिना बंगाल में अपनी जड़े मजबूत नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा, 'बीजेपी लंबे समय से ऐसा करने की कोशिश कर रही है। मुझे याद है कि वे 40 साल पहले भी इसका प्रयास कर चुके हैं। लेकिन, उन्हें पश्चिम बंगाल में इस मुख्यमंत्री के समर्थन बिना कोई जगह नहीं मिलेगी।'
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Source : IANS