दशकों तक लंबित रहे अयोध्या विवाद के लिए जानेमाने पुरातत्ववेत्ता डॉ. केके मुहम्मद ने वामपंथी इतिहासकारों को जिम्मेदार ठहराया है. उनके अनुसार वामपंथियों ने इस मसले का समाधान नहीं होने दिया. डॉ. केके मुहम्मद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) उत्तर क्षेत्र के पूर्व निदेशक रहे है. उन्होंने अपनी मलयालम में लिखी आत्मकथा 'जानएन्ना भारतीयन' (मैं एक भारतीय) में यह दावा किया है.
आर्कियोलॉजिस्ट डॉ. केके मुहम्मद ने कहा था की वामपंथी इतिहासकारों ने अयोध्या विवाद हल नहीं होने दिया था. डॉ. मोहम्मद के मुताबिक़ वामपंथी इतिहासकारों ने इस मुद्दे को लेकर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के नेताओं के साथ मिलकर देश के मुस्लिमों को गुमराह किया। उन्होंने दावा किया था कि अयोध्या मामला बहुत पहले हल हो जाता, यदि मुस्लिम बुद्धिजीवी, वामपंथी इतिहासकारों के ब्रेन-वाश का शिकार न हुए होते.
डॉ. मोहम्मद अपनी आत्मकथा में यहां तक दावा किया हैं कि वामपंथी इतिहासकारों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट तक को भी गुमराह करने की कोशिश की थी. अदालत द्वारा निर्णय दिए जाने के बाद भी इरफान और उनकी टीम सच मानने को तैयार नहीं हुए. उन्होंने कहा है कि रोमिला थापर, बिपिन चंद्रा और एस गोपाल सहित इतिहासकारों के एक वर्ग ने तर्क दिया था कि 19वीं शताब्दी से पहले मंदिर की तोड़फोड़ और अयोध्या में बौद्ध जैन केंद्र होने का कोई जिक्र नहीं है. इसका इतिहासकार इरफान हबीब, आरएस शर्मा, डीएन झा, सूरज बेन और अख्तर अली ने भी समर्थन किया था. ' डॉ. मोहम्मद कहते हैं, 'ये वे लोग थे, जिन्होंने चरमपंथी मुस्लिम समूहों के साथ मिलकर अयोध्या मामले का एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के प्रयासों को पटरी से उतार दिया.
Source : News Nation Bureau