वकीलों के देशव्यापी हड़ताल के कारण शुक्रवार को न्यायिक कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। वकील विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित उस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, जिसमें वकीलों के हड़ताल पर जाने पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने विधि आयोग की सिफारिशों के विरोध में 31 मार्च को वकीलों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, जिसने एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक, 2017 को कठोर बताया और कहा कि यह इंडियन बार की स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता को पूरी तरह बर्बाद कर देगा।
बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने यहां आईएएनएस से कहा, 'हड़ताल पूरे देश में सफल रहा। यह सभी उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों तथा निचली अदालतों में देखा गया। पूरे देश के लाखों वकीलों ने इस कठोर विधेयक के खिलाफ आवाज बुलंद की, जिसके पारित होने पर वकीलों की स्वतंत्रता पूरी तरह छीन जाएगी।'
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मिश्रा के मुताबिक, देश में लगभग 14 लाख वकील हैं।
दिल्ली की सभी जिला अदालतों के बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने कहा, 'बीसीआई के साथ एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली के वकीलों ने सभी जिला अदालतों में कामकाज से दूर रहने का फैसला किया।'
दिल्ली की छह जिला अदालतों - पटियाला हाउस, तीस हजारी, रोहिणी, कड़कड़डूमा, साकेत और द्वारका में हड़ताल रहा।
नई दिल्ली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष मिश्रा ने कहा, 'कोई भी वकील अदालत के समक्ष हाजिर नहीं हुआ, क्योंकि हमने काम न करने का फैसला किया। हड़ताल सफल है।'
सर्वोच्च न्यायालय के वकील हड़ताल में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उन्होंने इसमें अपना समर्थन जाहिर किया है।
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बार काउंसिल ने सरकार से विधि आयोग की सिफारिशों को खारिज करने का आग्रह किया है।
पंजाब, हरियाणा तथा चंडीगढ़ में भी हड़ताल के कारण मामलों की सुनवाई नहीं हो सकी।
पश्चिम बंगाल में भी वही नजारा दिखा, जहां राज्य बार काउंसिल ने कहा कि हड़ताल सफल रहा।
पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के उपाध्यक्ष प्रसून कुमार दत्ता ने आईएएनएस से कहा, 'बंगाल में लगभग 60 हजार वकीलों ने न्यायिक कार्यो में हिस्सा नहीं लिया।'
महाराष्ट्र तथा गोवा में लगभग 1.5 लाख वकील न्यायिक कार्य से दूर रहे।
मुंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को वकीलों से आग्रह किया था कि याचिकाकर्ताओं के हितों में वह जिम्मेदार बने।
केरल उच्च न्यायालय के वकील ए.जयशंकर ने कहा कि पूरे राज्य में हड़ताल रहा, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर कहा कि यह बेकार है और इसकी जरूरत नहीं है।
हड़ताल के कारण उत्तर प्रदेश में न्यायिक कार्य प्रभावित हुआ।
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विधि आयोग की सिफारिशों के विरोध में मध्य प्रदेश के वकील भी हड़ताल पर हैं, जिसकी वजह से अदालतों में कामकाज प्रभावित हुआ।
ज्ञात हो कि विधि आयोग ने प्रस्तावित अधिवक्ता अधिनियम संशोधन, विधेयक 2017 में अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार राज्य अधिवक्ता परिषद से वापस लेकर आयोग को देने की सिफारिश की है। इसे अधिवक्ता अपनी स्वतंत्रता के अधिकार का हनन मान रहे हैं और इसी के विरोध में वे हड़ताल पर हैं।
जबलपुर उच्च न्यायालय सहित राज्य की अन्य अदालतों के लगभग 90,000 वकीलों के हड़ताल पर होने से कामकाज पूरी तरह प्रभावित है।
राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य आर.के सैनी ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि राज्य के वकील हड़ताल पर हैं। यह संशोधन अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। इसके लिए पूर्व में भी राज्य अधिवक्ता परिषद विरोध दर्ज करा चुकी है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि नए संशोधन में जो प्रावधान है, वह वकीलों के कामकाज को सीधे प्रभावित करेंगे। राज्य अधिवक्ता परिषद के अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई का अधिकर ऐसी पांच सदस्यीय समिति को दे दिया जाएगा, जिसमें अधिकांश सदस्य विधि कार्य से दूर-दूर तक नाता न रखने वाले लोग होंगे।
उच्च न्यायालय की इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ के अलावा राज्य की अन्य जिला अदालतों में भी वकील काम पर नहीं गए हैं। इसके चलते उन पक्षकारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिनके मामलों की शुक्रवार को सुनवाई थी।
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Source : IANS