कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कर्नाटक विधान परिषद ने प्रस्ताव पारित किया है। इस फैसले के खिलाफ न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे पहले कर्नाटक कैबिनेट ने तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने से इनकार कर दिया था। आपको बता दें की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से राज्य भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसके बाद विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया है। राज्य में सभी दल इस मामले पर एक मत हैं।
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कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता रिजवान अरशद ने कहा 'हम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन, यहां पर स्थिति खराब है और इसे समझने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कावेरी विवाद पर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। लेकिन, उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।'
रिजवान ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, 'उसे कर्नाटक के लोगों की चिंता नहीं है।' उन्होंने कहा कि पीएम अगर इस मामले हस्तक्षेप करते तो स्थिति इतनी खराब नहीं होती।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
मंगलवार को कावेरी जल विवाद के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगली सुनवाई तक कर्नाटक रोजाना 6 हजार क्यूसेक पानी छोड़े। साथ ही अपने निर्देश में कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को चार सप्ताह के अंदर कावेरी वॉटर मैनेजमेंट बोर्ड गठन करने को कहा था।
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Source : News Nation Bureau