राफेल विमान सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के सनसनीखेज दावे के बाद एनडीए सरकार बुरी तरह घिर गई है। राफेल सौदे में फ्रांस और दसॉल्ट एविएशन द्वारा पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान से किनारा करने के बाद कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि फ्रांस का बयान जितना खुलासा करता है, उससे कहीं ज्यादा तथ्यों को छिपाने वाला है। इसी मुद्दे को लेकर राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस ने मोदी सरकार पर हमला बोला।
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# कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर कहा, 'पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा डील बदलने की जानकारी मुझे नहीं थी। वो गोवा के बाज़ार में मछली खरीद रहे थे।'
#WATCH: Congress President Rahul Gandhi says on #RafaleDeal, "the former Defence Minister (Manohar Parrikar) said that when the contract was changed, he didn't know about it. He was buying fish in the markets of Goa" pic.twitter.com/1y3t3Dx7jX
— ANI (@ANI) September 22, 2018
# अब हमें भी लगने लगा है कि भारत के प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। यह सवाल अब आम लोगों के मन में भी घर कर गया है
# फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने पहली बार भारत के प्रधानमंत्री पर लगाया कि लेकिन नरेंद्र मोदी मौन हैं क्यों?- राहुल गांधी
# पीएम मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हज़ार करोड़ का ठेका दिया- राहुल गांधी
#WATCH Live: Congress President Rahul Gandhi addresses the media in Delhi https://t.co/agi6fvoCzp
— ANI (@ANI) September 22, 2018
# पीएम मोदी ने 536 करोड़ का राफेल 1600 करोड़ में ख़रीदा- राहुल गांधी
इससे पहले कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, 'फ्रांस का बयान जितना खुलासा करता है, उससे कहीं ज्यादा छिपाने वाला है। फ्रांस सरकार जानती है कि पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और भारतीय वार्ताकारों के बीच मौखिक बातचीत ब्योरेवार रही है, जो उभरकर सामने आ सकती है।'
उन्होंने कहा,'राफेल मामले में फ्रांस की संसदीय सुनवाई और फ्रांस ने सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार 1978 के तहत प्रशासन के दस्तावेजों तक पहुंच बनाने की अटकलें हैं।'
तिवारी ने कहा, 'क्या फ्रांसीसी सरकार/कॉर्पोरेट इकाई ने राफेल खरीद को फ्रांस की राजनीति में भी घरेलू मुद्दा बना दिया है।'
वहीं, कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने ट्वीट कर कहा, 'राफेल सौदे में गलत जानकारी देने के मामले में फ्रांस सरकार ने दसॉल्ट से बात की है।'
फ्रांस सरकार ने शुक्रवार रात यह बयान पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान के बाद जारी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत सरकार ने राफेल सौदे के लिए एक निजी कंपनी का नाम सुझाया था।
ओलांद ने कहा था, 'हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। भारत सरकार ने यह नाम (रिलायंस डिफेंस) सुझाया था और दसॉल्ट ने अंबानी से बात की थी।'
इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार रात जारी बयान में कहा गया, 'इस सौदे के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदारों को चुनने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।'
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बयान में आगे कहा गया कि भारतीय अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार, फ्रांस की कंपनी को पूरी छूट है कि वह जिस भी भारतीय साझेदार कंपनी को उपयुक्त समझे उसे चुने, फिर उस ऑफसेट परियोजना की मंजूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजे, जिसे वह भारत में अपने स्थानीय साझेदारों के साथ अमल में लाना चाहते हैं ताकि वे इस समझौते की शर्ते पूरी कर सके।
राफेल विमानों के निमार्ता दसॉल्ट एविएशन ने भी शुक्रवार रात अपने बयान में कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था। यह दसॉल्ट एविएशन का फैसला था।
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फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और 2016 में सौदे पर हस्ताक्षर हुआ था।
Source : News Nation Bureau