दक्षिण एशिया उपग्रह या जीसैट-9 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी-एमके द्वितीय) रॉकेट के जरिये शुक्रवार की शाम को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर दिया गया है। इस उपग्रह को रॉकेट से शुक्रवार शाम 4 बजकर 57 मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया है।
रॉकेट लांच को लेकर 28 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार दोपहर 12.57 बजे ही शुरू हो गई थी। करीब 49 मीटर लंबा और 450 टन वजनी जीएसएलवी तीन चरणों वाला रॉकेट है। इसमें पहला चरण ठोस ईंधन, दूसरा चरण तरल ईंधन और तीसरा क्रायोजेनिक इंजन ईंधन है।
Live Updates :
- पीएम ने जीसैट-9 की लॉन्चिंग को बताया ऐतिहासिक, कहा सार्क देशों की भागीदारी में होगा इजाफा
- जीसैट-9 श्रीहरिकोटा से लॉन्च, पीएम मोदी सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ कर रहे हैं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
- पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को प्रक्षेपण पर दी बधाई
Successful launch of South Asian Satellite is a historic moment. It opens up new horizons of engagement: PM Narendra Modi pic.twitter.com/GpCDgN8HDF
— ANI (@ANI_news) May 5, 2017
- आपदा के समय इस सैटेलाइट की बदौलत मदद मिलेगी
- 2230 किलो का है साउथ एशिया सैटेलाइट
ISRO launches South Asia Satellite GSAT-9 from Andhra Pradesh's Srikharikota. pic.twitter.com/59ElQn26n0
— ANI (@ANI_news) May 5, 2017
- प्रोजेक्ट की लागत 235 करोड़
- आस पास के 7 देशों को संचार की सुविधा मिलेगी
- 412 टन वजनी है सैटेलाइट
- साउथ एशिया सैटेलाइट लखा गया है नाम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने बताया कि दूसरे चरण के लिए तरल ईंधन को भर दिया गया है और क्रायोजेनिक इंजन में ईंधन भरा जा रहा है।
इसरो ने कहा था कि जीसैट-9 को दक्षिण एशियाई देशों के कवरेज क्षेत्र के साथ कू-बैंड में विभिन्न संचार अनुप्रयोगों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लॉन्च किया जा रहा है। इसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल को कहा था कि दक्षिण एशिया उपग्रह क्षेत्र की आर्थिक और विकास की प्राथमिकताओं में अहम भूमिका निभाएगा।
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में उन्होंने कहा था, 'इस उपग्रह की क्षमता और सुविधाएं दक्षिण एशिया के आर्थिक और विकासात्मक प्राथमिकताओं से निपटने में काफी मददगार साबित होंगी।'
उन्होंने कहा था, 'प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने, टेलीमेडिसीन, शिक्षा के क्षेत्र में लोगों के बीच संचार बढ़ाने में यह उपग्रह पूरे क्षेत्र की प्रगति में एक वरदान साबित होगा।'
उन्होंने कहा, 'यह भारत द्वारा संपूर्ण दक्षिण एशिया से सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह एक अनमोल उपहार है। यह दक्षिण एशिया के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक उपयुक्त उदाहरण है। मैं उन सभी दक्षिण एशियाई देशों का स्वागत करता हूं, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रयास में भागीदारी की है।'
इसरो ने कहा है कि जीसैट-9 मानक प्रथम-2के बस के तहत बनाया गया है। उपग्रह की मुख्य संरचना घनाकार है, जो एक केंद्रीय सिलेंडर के चारों तरफ निर्मित है। इसकी मिशन अवधि 12 साल से ज्यादा है। एक अधिकारी के अनुसार, इसरो ने प्रायोगिक आधार पर उपग्रह को इलेक्ट्रिक पॉवर देने का फैसला किया है।
एक अधिकारी ने कहा, 'हमने इलेक्ट्रिक पॉवर की वजह से पारंपरिक ऑनबोर्ड ईंधन की मात्रा कम नहीं की है। हमने इसमें इलेक्ट्रिक पॉवर की सुविधा जोड़ी है, ताकि भविष्य के उपग्रहों में इसके इस्तेमाल की जांच कर सकें।'