जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव के वोटों की गिनती जारी है। वोटों की गिनती शुरु होने पर लेफ्ट यूनिटी (आइसा, एसएफआई, डीएसएफ), बिरसा अंबेडकर फुले स्टुडेंट एसोसिएशन (बापसा) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) तीनों के बीच कड़ी टक्कर चल रही है।
करीब 59 प्रतिशत जेएनयू छात्रों ने छात्र संघ चुनाव में विभिन्न पदों के लिए शुक्रवार को अपने वोट डाले थे। इसके लिए पूरे कैंपस में 14 मतदान केन्द्र बनाए गए थे।
सेंट्रल पैनल पर लगभग 900 वोटों की गिनती के बाद लेफ्ट यूनिटी के सभी उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। हालांकि एबीवीपी और बापसा भी बहुत कम अंतर से पीछे चल रही है, इसलिए रुझान बदलता हुआ भी दिख रहा है।
काउंसलर पदों के लिए अब तक घोषित परिणामों में 6 एबीवीपी, 4 लेफ्ट यूनिटी और कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को भी सफलता मिली है। 50 घंटे की काउंटिंग के बाद छात्र संघ चुनाव के नतीजे 10 और 11 सितम्बर के बीच आएंगे।
साइंस स्कूल में एबीवीपी को सफलता मिली है, साथ ही स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में लेफ्ट यूनिटी को 5 में से 4 काउंसलर पदों पर जीत मिली है। वहीं स्कूल ऑफ सोशल साइंस के 4 काउंसलर पदों पर लेफ्ट यूनिटी के उम्मीदवार जीते हैं, जबकि 1 सीट भगत सिंह अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन (बासो) को मिली है।
जेएनयू छात्र संघ के इलेक्शन कमेटी के अनुसार इस बार जेएनयू के कुल 7,903 वोटरों में से 4,639 (58.69%) ने वोट डाले थे।
जेएनयू कैंपस में कई सालों से छात्र संघ पर कब्जा जमाए लेफ्ट संगठन को इस बार के चुनाव में बापसा और एबीवीपी से कड़ी टक्कर मिल रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण जेएनयू के अंदर एमफिल- पीएचडी की सीटों का बड़ी संख्या में घटाया जाना है।
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HIGHLIGHTS
- इस बार जेएनयू के कुल 7,903 वोटरों में से 4,639 (58.69%) ने वोट डाले थे
- छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिए 6 सितंबर की रात को हुई थी अध्यक्षीय बहस
Source : News Nation Bureau