सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारा मकसद कानून को कमज़ोर करना नहीं था, निर्दोषों को सजा न मिले ये थी कोशिश

अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससीएसटी) कानून में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश में भड़की हिंसा में अब तक 11 लोग मारे गए हैं।

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pradeep tripathi
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारा मकसद कानून को कमज़ोर करना नहीं था, निर्दोषों को सजा न मिले ये थी कोशिश
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अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससीएसटी) कानून में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश में भड़की हिंसा में अब तक 11 लोग मारे गए हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हालात सबसे ज्यदा खराब हैं। एहतियात के तौर पर केंद्र सरकार ने इन राज्यों में रैपिड ऐक्शन फोर्स (RAF)को रवाना किया है।

इस प्रदर्शन के कारण कई स्थानों में तनाव अब भी बरकरार है ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है। मध्यप्रदेश में 8 लोगों की मौत हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश में 2 लोग हिंसा में मारे गए हैं। राजस्थान में 1 शख्स की मौत हुई है। इसके अलावा कई जिलों में तनाव के कारण कर्फ्यू लगाया गया है।

इसके साथ ही पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

दलित समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सोवमार को भारत बंद बुलाया था। लेकिन विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो गया और कई राज्यों में तोड़फोड़, आगज़नी, सड़क जाम और ट्रेनें रोकी गईं।

LIVE UPDATES:

# जो लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे है, उन्होंने हमारा फैसला तक नहीं पढ़ा है, हमारी चिंता उन बेकसूर लोगों को लेकर है, जो बिना ग़लती के जेल में है, हम ऐक्ट के खिलाफ नही है, चिंता एक्ट के  दुरुपयोग को लेकर है: सुप्रीम कोर्ट

# सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस कानून के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी किसी निर्दोष को सजा भी न मिले: सुप्रीम कोर्ट

# कोर्ट में एससीएसटी ऐक्ट पर शुरू हुई सुनवाई

# 2015 में संशोधन कर हमारी सरकार ने एससीएसटी कानून को मज़बूत किया है: अमित शाह, अध्यक्ष, बीजेपी

# मध्य प्रदेश में स्थिति सामान्य हो रही है। उचित संख्या में पुलिस की तैनाती की गई है। हमारी प्राथमिकता कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की है: भूपेंद्र सिंह, गृहमंत्री मध्य प्रदेश 

# एससी/एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार के रिव्यू पिटिशन पर ओपन कोर्ट सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट राजी

# सागर और ग्वालियर में धारा 144 लगाई गई

# दलित आंदोलन के दौरान मध्य प्रदेश में मारे गए लोगों की संख्या 7 हुई

# उत्तर प्रदेश के मेरठ में दोपहर 2 बजे तक इंटरनेट सेवाओं पर लगी रोक

पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हुई झड़प के कारण कई लोग घायल हुए। इसके अलावा प्रदर्शन और बंद के कारण फंसे तीन लोगों की मौत भी हुई।

इस हिंसा से 7 राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हालात काफी बिगड़ गए हैं।

इस बीच केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को वापस लेने के लिए पुनर्विचार याचिका कर दी, जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत शिकायत दर्ज कराने पर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि पुलिस इस एक्ट के तहत दर्ज शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले उसकी सत्यता का पता लगाने के लिए जांच करेगी।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए तर्क से सहमत नहीं है।

केंद्र ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका

इस बीच केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को वापस लेने के लिए पुनर्विचार याचिका कर दी, जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत शिकायत दर्ज कराने पर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि पुलिस इस एक्ट के तहत दर्ज शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले उसकी सत्यता का पता लगाने के लिए जांच करेगी।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए तर्क से सहमत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था

20 मार्च को दिये गए अपने एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससीएसटी कानून के प्रावधानों का 'कई बार' गलत इस्तेमाल किया जाता है और निर्दोष नागरिकों को दोषी करार दिया जाता है और सरकारी कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी पूरी करने से भी रोकता है। जबकि इस कानून को बनाते समय ऐसा कभी नहीं सोचा गया था।

कोर्ट ने कहा था, 'कानून के दुरुपयोग को देखते हुए पब्लिक सर्वेंट की गिरफ्तारी तबतक नहीं हो सकती है जबतक कि नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी इस मामले में मंज़ूरी नहीं देती है और अन्य लोगों के मामले में एसएसपी में केस के सत्यापन के बाद मंज़ूरी नहीं देता है।'

साथ ही कोर्ट ने कहा था कि आगे की गिरफ्तारी की अनुमति के लिये कारणों की समीक्षा मैजिस्ट्रेट की निगरानी में होगी।

कोर्ट ने गलत तरीके से निर्दोषों को फंसाने से रोकने के लिये कोर्ट ने निर्देश दिया था कि प्रारंभिक जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी से कराई जानी चाहिये ताकि ये पता लगाया जा सके कि कानून के तहत वो दोषी है या नहीं।

और पढ़ें: केंद्र ने माना-SC/ST एक्ट पर कोर्ट का फैसला संसद की सोच के मुताबिक नही

Source : News Nation Bureau

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