BJP's focus on OBC: देश में लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न होने के बाद अब यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि पिछली बार के मुकाबले इस बार किस जाति ने किसे सबसे ज्यादा वोट दिए और मोदी कैबिनेट में इस बार किस जाति को अहमियत मिली. बता दें कि वर्ष 2014 से 2024 के बीच हुए तीन लोकसभा चुनावों में भाजपा की सीटों में काफी गिरावट देखि गई है, जिससे सत्ता में जातीय प्रतिनिधित्व पर भी प्रभाव पड़ा. ओबीसी को अपनी राजनीति का केंद्र बनाने वाली भाजपा ने सीटें घटने के बावजूद ओबीसी की भागीदारी को बनाए रखा, लेकिन अगड़ों की भागीदारी पर इसका असर देखा गया. 2014 में मोदी कैबिनेट में दो ब्राह्मण चेहरे थे, जो 2024 में घटकर एक रह गए, जबकि क्षत्रियों की भागीदारी बरकरार रखी गई.
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2014 में भाजपा का शिखर और जातीय संतुलन
आपको बता दें कि 2014 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश से 71 और एनडीए ने 73 सीटें जीती थीं. तब मोदी सरकार में उत्तर प्रदेश से 15 चेहरे शामिल किए गए थे, जिसमें पीएम मोदी सहित 6 ओबीसी शामिल थे.
2014 में जातीय प्रतिनिधित्व इस प्रकार था
- ब्राह्मण: कलराज मिश्रा और महेश शर्मा
- भूमिहार: मनोज सिन्हा
- ठाकुर: राजनाथ सिंह और जनरल वीके सिंह
- कुर्मी: संतोष गंगवार और अनुप्रिया पटेल
- लोध: उमा भारती
- निषाद: साध्वी निरंजन ज्योति
- जाट: संजीव बालियान
- पारसी: स्मृति ईरानी
- मुस्लिम: मुख्तार अब्बास नकवी
- दलित: रामशंकर कठेरिया
- सिख: मेनका गांधी
2019 में भाजपा की सीटों में गिरावट लेकिन ओबीसी का संतुलन
वहीं आपको बता दें कि 2019 में भाजपा को उत्तर प्रदेश से 62 और एनडीए को 64 सीटें मिलीं. तब भी मोदी सरकार में उत्तर प्रदेश से 15 मंत्री थे और ओबीसी की भागीदारी को बनाए रखा गया था.
2019 में जातीय स्थिति इस प्रकार थी
- ब्राह्मण: महेंद्रनाथ पांडेय और अजय मिश्रा टेनी
- ठाकुर: राजनाथ सिंह और जनरल वीके सिंह
- कुर्मी: अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी
- जाट: संजीव बालियान
- लोध: बीएल वर्मा
- निषाद: साध्वी निरंजन ज्योति
- दलित: भानू प्रताप वर्मा, कौशल किशोर और एसपी सिंह बघेल
- पारसी: स्मृति ईरानी
- सिख: हरदीप पुरी
2024 में भाजपा की सीटों में और गिरावट, लेकिन ओबीसी प्रतिनिधित्व बरकरार
इसके अलावा अगर 2024 की बात करें तो 2024 में भाजपा को उत्तर प्रदेश से 33 और एनडीए को 36 सीटें मिलीं. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पांच ओबीसी चेहरे शामिल हैं. क्षत्रियों की संख्या में कोई कमी नहीं आई और राजनाथ सिंह के साथ कीर्तिवर्धन को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.
2024 में इस प्रकार है जातीय स्थिति
- ब्राह्मण: जितिन प्रसाद
- ठाकुर: राजनाथ सिंह और कीर्तिवर्धन
- ओबीसी: नरेंद्र मोदी सहित चार अन्य
- दलित: एसपी सिंह बघेल और कमलेश पासवान
ब्राह्मण और दलित प्रतिनिधित्व में कमी
आपको बता दें कि 2014 में मोदी सरकार में कलराज मिश्रा और महेश शर्मा के रूप में दो ब्राह्मण चेहरे थे. 2019 में यह संख्या बरकरार रही, लेकिन 2024 में यह घटकर सिर्फ जितिन प्रसाद तक सीमित रह गई. उत्तर प्रदेश की दो दर्जन से अधिक सीटों पर ब्राह्मण निर्णायक स्थिति में हैं, लेकिन उनकी भागीदारी में कमी देखी गई है. वहीं, दलित प्रतिनिधित्व भी घटा है. 2014 में रामशंकर कठेरिया इकलौते दलित चेहरा थे. 2019 में यह संख्या बढ़कर तीन हो गई थी, लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर दो रह गई.
ओबीसी की भागीदारी में स्थिरता
भाजपा ने अपनी ओबीसी नीति को बरकरार रखा और उनकी भागीदारी को कम नहीं होने दिया. 2014 और 2019 में छह और पांच ओबीसी चेहरे शामिल थे, जबकि 2024 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पांच ओबीसी चेहरे शामिल हैं. यह भाजपा की ओबीसी को प्राथमिकता देने की नीति का प्रमाण है.
बहरहाल, भाजपा की सीटों में गिरावट के बावजूद ओबीसी की भागीदारी स्थिर रही, जबकि ब्राह्मण और दलित प्रतिनिधित्व में गिरावट देखी गई. इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा ने अपनी ओबीसी-केंद्रित राजनीति को बरकरार रखा है, लेकिन उसे अन्य जाति समूहों की भागीदारी में समायोजन करना पड़ा है.
HIGHLIGHTS
- सीटें भले ही कम, लेकिन OBC पर BJP का फोकस बरकरार
- आंकड़ों से समझिए मोदी 3.0 का जातीय गणित
- 2014 से 2024 के बीच भाजपा की सीटों में काफी गिरावट
Source : News Nation Bureau