Lok Sabha elections 2024: यह सच है कि हम एक नए जेनरेशन के हैं, जो वयस्क होते हुए भी अपने पहले वोट के साथ एक नए सफर की शुरुआत कर रहे हैं. हम उन भाग्यशाली लोगों में से हैं जिन्होंने एक आजाद और लोकतांत्रिक समय में जन्म लिया है. हमारे पिताजी और दादाजी की पीढ़ी ने सिर्फ आजादी के लिए संघर्ष किया है, लेकिन हमें उनके जैसे संघर्ष करने की जरुरत नहीं है. हमें उन्हीं के संघर्षों की याद है और हम उनसे सीखते हैं कि हमारा मतदान करना भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्रिया है. हमें अपने देश और समाज के भविष्य के लिए जिम्मेदारी का एहसास है और हम इसे सीरियसली लेते हैं. आज हम नहीं सिर्फ अपने रिश्तों या कैरियर की चिंता करते हैं, बल्कि हम अपने देश की सियासत और समाज के विकास में भी अपना योगदान देने के बारे में सोचते हैं.
यह सोच कर ही दिल खुश हो जाता है कि हम जो इस देश का भविष्य हैं, हमारे पास एक इतिहास है जो हमें दिशा देता है. हमारी जीवन यात्रा के साथ देश के राजनीतिक इतिहास की यात्रा भी बहुत महत्वपूर्ण है. हमें यह समझने की जरुरत है कि हमने कितना बड़ा स्वरूप सोचा है. हमने कितने महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और हमने कितने बड़े बदलाव किए हैं. मोबाइल फोन, रील्स, ब्रांडेड कपड़े और मीम बनाने से अधिक हमें अपने देश के नागरिकों के रूप में अपनी जिम्मेदारी को लेकर सजग रहना चाहिए. हमें राजनीति को समझने की जरुरत है, क्योंकि यह हमारे देश के भविष्य को निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हमें अपने देश का इतिहास पढ़ने की जरुरत है क्योंकि यह हमें हमारे अगले कदमों के लिए एक दिशा देता है और हमें हमारी विरासत का मूल्य समझाता है. आज हमारे लिए आपसे देश और लोकतंत्र के बारे में बात करने का बहुत खास दिन है.
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जब Gen-Z पैदा हुए तो क्या हो रहा था देश में
भारतीय राजनीति और आर्थिक हालात में वहमों का सिलसिला 1990 के बाद बड़ी गति से बदल रहा था. जब आप इस दुनिया में आये थे तब 1991 में जब आपको अभिवादन किया गया, देश में एक नया अध्याय खोला गया था. आम चुनाव में कांग्रेस ने अपनी स्थानीयता बरकरार रखी और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने. 1990 के पहले के कुछ सालों में देश को कई आघात पहुंचे. 1975 में इमर्जेंसी और फिर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या ने देश को गहरे आघात में डाला. 1990 में मंडल कमीशन की घोषणा और उसके बाद श्रीपेरुमबुदुर में राजीव गांधी की हत्या के बाद, देश में भयंकर अस्थिरता महसूस हो रही थी. 1992 में लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा की और बाबरी मस्जिद के विवाद में अयोध्या में विवाद को गरम कर दिया. इन घटनाओं को सीधे संदर्भ में समझने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह घटनाएं देश के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को स्थिरता से अधिक अस्थिरता की ओर ले गईं.
आज के फैसले पर रखी भविष्य की बुनियाद
आज का फैसला कल के भविष्य की नींव होता है. हमारे आज के कार्य और निर्णय हमें उस पथ पर ले जाते हैं, जो हमारे भविष्य को बनाए रखने में मदद करते हैं. आज अगर हम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना निर्णय लेते हैं, तो हमारा कल उसी क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों को छू सकता है. इसी तरह, आज के कृत्यों की आधारशिला हमें देश के इतिहास से जोड़ती है. आज के निर्णयों का परिणाम आने वाले समय में महत्वपूर्ण संरचनाओं को बनाता है, जो हमारे राष्ट्र की गतिशीलता और उन्नति को निर्धारित करते हैं.
आपको बता दें कि आप जिस आईआईटी में पढ़ने का सपना देख रहे हैं वो आईआईटी सबसे पहले 1951 में बना था- आईआईटी खड़गपुर. उसके बाद 1958 में आईआईटी बॉम्बे की स्थापना हुई. फिर 1959 में आईआईटी मद्रास और आईआईटी कानपुर और 1961 में आईआईटी दिल्ली की स्थापना हुई. 1954 में भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर, 1969 में इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन), 1956 में AIIMS (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज). 1946 में देश में सिर्फ़ 15 मेडिकल कॉलेज थे. 1965 तक इनकी संख्या बढ़कर 81 हो गई. यह सूची बहुत लंबी है. कोविड महामारी के दौरान अहम भूमिका निभाने वाले ICMR यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की शुरुआत भी नेहरू ने ही 1952 में की थी.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा चुनाव 2024 में फर्स्ट टाइम हिस्ट्री जरूरी
- वोटर को अब इंडियन हिस्ट्री पढ़ना है जरूरी
- लोगों को राजनीति में लेना चाहिए भाग
Source(News Nation Bureau)