लोकसभा में आज यानी सोमवार को नेशनल मेडिकल कमिशन बिल (National Medical Commission Bill) पास हो गया. इस विधेयक के तहत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) को समाप्त कर, उसके स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) का गठन किया जायेगा. मेडिकल शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने के मकसद से सरकार ये बिल लेकर आई है.
वैसे ये बिल सबसे पहले दिसंबर 2017 में पेश किया गया था, जिसके बाद 2018 में भी केंद्र सरकार इस बिल को लेकर आई, लेकिन विपक्ष और देशभर के डॉक्टरों के विरोध को देखते हुए इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था. अब केंद्र सरकार दोबारा इस बिल को लेकर आई है.
बिल का मकसद मेडिकल एजुकेशन व्यवस्था को पारदर्शी बनाना
इस बिल को लाने के पीछे सरकार का मकसद है देश में मेडिकल एजुकेशन व्यवस्था को दुरुस्त और पारदर्शी बनाना. देश में एक ऐसी चिकित्सा शिक्षा (medical education) की ऐसी प्रणाली बनाई जाए जो विश्व स्तर की हो.
प्रस्तावित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि चिकित्सा शिक्षा के Undergraduate और Postgraduate दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के डॉक्टर मुहैया कराया जाय.
एनएमसी चिकित्सा प्रोफेशनल्स को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि वे अपने क्षेत्र के नवीनतम मेडिकल रिसर्च को अपने काम में सम्मिलित करें और ऐसे रिसर्च में अपना योगदान करें. आयोग समय-समय पर सभी चिकित्सा संस्थानों का मूल्यांकन भी करेगा.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) भारत के लिए एक मेडिकल रजिस्टर के रख-रखाव की सुविधा प्रदान करेगा और मेडिकल सेवा के सभी पहलुओं में नैतिक मानदंड को लागू करवाएगा.
केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी
केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में राज्यों को अपनी समस्याएं और सुझाव रखने का मौका देगी. ये काउंसिल मेडिकल कमीशन को सुझाव देगी कि मेडिकल शिक्षा को कैसे सुलभ बनाया जाए.
इस कानून के आते ही पूरे भारत के मेडिकल संस्थानों में दाख़िले के लिए सिर्फ एक परीक्षा ली जाएगी. इस परीक्षा का नाम NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) रखा गया है.
मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया खत्म हो जाएगी
यानि भारत में अबतक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (MCI) की ज़िम्मेदारी थी. लेकिन अगर ये विधेयक पारित होता है तो मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया खत्म हो जाएगी और उसकी जगह लेगा नेशनल मेडिकल कमीशन. और इस बिल के पास होते ही देश में मेडिकल शिक्षा और मेडिकल सेवाओं से संबंधित सभी नीतियां बनाने की कमान इस कमीशन के हाथ में होगा.
प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना होगा
इस बिल के पास होने के बाद अब एमबीबीएस (MBBS) पास करने के बाद प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना होगा. अभी नेशनल एक्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्र देते है.
डॉक्टर इस बिल का कर रहे हैं विरोध
इधर, एनएमसी बिल से एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर नाखुश हैं. पांच हजार डॉक्टर इस बिल के विरोध में एम्स के बाहर आज सुबह से विरोध कर रहे हैं. इनका कहना है कि कोई छात्र एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास दूसरा विकल्प नहीं है. इस बिल में कोई दूसरा विकल्प नहीं दिया गया है.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा में मेडिकल कमिशन बिल पास.
- मेडिकल एजुकेशन व्यवस्था को पारदर्शी बनाना बिल का मकसद.
- मेडिकल में दाखिले के लिए एक ही टेस्ट देना होगा.