लोकसभा में सोमवार को हंगामे के बीच ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण), 2016 विधेयक पारित हो गया. यह विधेयक ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के संरक्षण और उनके कल्याण के प्रावधान प्रदान करेगा. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि विधेयक ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है और उन्होंने सदस्यों से इसे पारित कराने की अपील की थी.
विधेयक को अगस्त 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और सदस्यों की मांग के मद्देनजर, इसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता पर स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था.
गहलोत ने कांग्रेस, AIADMK, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) की ओर से विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन के बीच कहा कि विधेयक में स्थाई समिति द्वारा दिए गए 27 सुझावों को शामिल किया गया है.
हंगामे के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर, बीजू जनता दल (बीजेडी) के भर्तृहरि महताब, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की काकोली घोष ने अपने विचार रखे और विधेयक के विभिन्न अनुच्छेदों पर आपत्ति जताई और संशोधन की मांग की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया.
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2011 की जनगणना के अनुसार, ऐसे लोग जिनकी पहचान 'पुरुष' या 'महिला' के तौर पर नहीं, बल्कि 'अन्य' के तौर पर हुई, उनकी संख्या 4,87,803 थी, जोकि कुल आबादी का 0.04 प्रतिशत था.
Source : IANS