लोकसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर सियासत तेज है.. जहां एक ओर NDA का नेतृत्व कर रही बीजेपी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि, स्पीकर का पद उनके ही पास रहेगे. वहीं दूसरी ओर सहयोगी पार्टियों के साथ आम सहमति बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जिम्मेदारी दी गई है. यहां विपक्ष भी इस लोकसभा स्पीकर के चुनाव में अपने अलग मकसद के साथ उतरा है. पहला, विपक्ष डिप्टी स्पीकर पद के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटी है. वहीं चलिए दूसरा खबर में आगे जानते हैं...
मालूम हो कि, विपक्ष का जोर इस ओर भी है कि, लोकसभा स्पीकर का पद चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) मिलना चाहिए. इसके लिए दोनों पार्टियों को इंडिया ब्लॉक की पार्टियों के समर्थन की पेशकश भी की गई है. मगर यहां सवाल है कि, आखिर इसमें विपक्ष का क्या फायदा...
गौरतलब है कि, चंद्रबाबू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू इन चुनावों में किंगमेकर बनकर उभरे हैं. टीडीपी चाहती है कि, स्पीकर उनका हो, लिहाजा विपक्षी गठबंधन टीडीपी की स्पीकर पद की महत्वाकांक्षा को हवा देते हुए NDA सरकार में फूट डालने के प्रयास में है.
विपक्षी गठबंधन का गणित कहता है कि, अगर नायडू NDA से छिटक गए तो मोदी सरकार 3.0 का संख्याबल 293 से घटकर 277 पर पहुंच जाएगा, जो बहुमत के लिए जरूरी 272 से महज पांच अधिक है. इससे सरकार अस्थिर हो जाएगी.
इसके साथ ही विपक्ष डिप्टी स्पीकर का पद किसी विपक्षी पार्टी को देने की मांग कर रहा है. ज्ञात हो कि, लोकसभा में डिप्टी स्पीकर की पोस्ट विपक्षी पार्टी या विपक्षी गठबंधनों के हिस्से जाने का रिवाज रहा है. हालांकि पिछली लोकसभा में ये पद पूरे पांच साल तक खाली रहा था. मगर इस बार विपक्ष इसे दोहराने के मूड में नहीं है.
ऐसा है लोकसभा का नंबरगेम
बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA के 293 सांसद हैं. इसमें बीजेपी के 240, टीडीपी के 16, जेडीयू के 12, शिवसेना (शिंदे) के सात, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पांच सांसद हैं. बाकी 10 पार्टियों के 13 सांसद हैं. दूसरी ओर विपक्षी इंडिया ब्लॉक को 234 सीटों पर जीत मिली है.
Source : News Nation Bureau