Lok Sabha Speaker: ओम बिरला या के सुरेश अठारावीं लोकसभा का स्पीकर कौन होगा, किस पार्टी से होगा ये अभी भी सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है, लेकिन इस बार कांग्रेस के पास इतिहास दोहराने का मौका है. ऐसा पहली बार नहीं है जब देश में लोकसभा स्पीकर के लिए चुनाव हो रहा हो बल्कि संसदीय इतिहास में इससे पहले भी दो बार लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव हो चुका है. पहली बार 1952 तो वही दूसरी बार 1976 में स्पीकर पद के लिए वोट पड़ चुके हैं. खास बात ये है कि दोनों ही चुनावों में कांग्रेस पार्टी के कैंडिडेट की जीत हुई थी. बात करें 1952 की तो उस समय कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जी वि मावलंकर को स्पीकर उम्मीदवार बनाया था, वहीं विपक्ष की तरफ से शंकर शांताराम मोरे मैदान में खड़े थे. हालांकि ये चुनाव कांग्रेस के लिए महज एक औपचारिकता भर थी. अंत में 394 वोटों के साथ कांग्रेस के जीवी मावलंकर स्पीकर का चुनाव जीतकर देश के पहले लोकसभा स्पीकर चुने गए थे.
देश में पहले भी लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ
संसदीय इतिहास में दूसरा ऐसा मौका 1976 में आपातकाल के दौरान आया. उस समय भी लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था. तब कांग्रेस के बलिराम भगत और जगन्नाथ राव के बीच मुकाबला हुआ था. जिसमें बली राम भगत की जीत हुई थी और बली राम भगत 5 जनवरी 1976 को पांचवीं लोकसभा के स्पीकर चुने गए थे. मतलब ये तो साफ है कि अब तक जितनी बार देश में लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ है, उसमें कांग्रेस के प्रत्याशी की ही जीत हुई है. अब अट्ठारहवीं लोकसभा के स्पीकर के लिए भी चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में ये जान लेते हैं कि इस बार किसका पलड़ा भारी नजर आ रहा है. दरअसल इस बार केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद विपक्ष लगातार लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद मांग रहा था. हालांकि सहमति नहीं बन पाने के चलते विपक्ष में बैठे इंडिया अलायन्स ने स्पीकर पद के लिए चुनाव करवाने की घोषणा कर दी है. विपक्ष की तरफ से सांसद के. सुरेश को प्रत्याशी बनाया गया है जबकि दूसरी तरफ एनडीए ने पिछले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला पर दोबारा भरोसा जताया है.
किसके पक्ष में नंबर गेम
राजस्थान के कोटा से बीजेपी के तीन बार के सांसद ओम बिरला और केरल से कांग्रेस के आठ बार के सांसद के. सुरेश ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया. अब यहाँ सवाल उठता है कि वर्तमान में 542 सदस्यीय लोकसभा में किसके स्पीकर बनने की उम्मीद ज्यादा है? भाषा में कहें तो नंबर गेम किसके पक्ष में? सदन में 293 सांसदों वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है. वहीं विपक्षी इंडिया ब्लॉक के पास 233 सांसद हैं. अन्य दलों के पास 16 सांसद हैं. इनमें कुछ निर्दलीय भी शामिल हैं. अगर ये 16 सांसद इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार का समर्थन कर भी देते है. तब भी उसकी संख्या 249 तक ही पहुंचेगी, जबकि स्पीकर का चुनाव जीतने के लिए 271 का जादुई आंकड़ा पार करना जरूरी है. इंडिया ब्लॉक के लिए स्पीकर पोस्ट हासिल करने की संभावना तब तक नहीं है जब तक की जेडीयू और टीडीपी जैसी पार्टी इंडिया अलायन्स के उम्मीदवार के सुरेश के समर्थन में क्रॉस वोटिंग नहीं करती. लेकिन एनडीए के दोनों बड़े सहयोगी टीडीपी और जेडीयू ने पहले ही ओम बिड़ला के साथ जाने का फैसला कर लिया है.
कहीं ममता न बिगाड़ दे विपक्ष का खेल
यहाँ इंडिया अलायन्स के लिए एक और चुनौती है. दरअसल इंडिया ब्लॉक को बाहर से समर्थन दे रहीं ममता बेनर्जी ने भी स्पीकर पोस्ट के लिए उम्मीदवार के सेलेक्शन में खुद को शामिल नहीं किए जाने को लेकर नाराजगी व्यक्त की है. ऐसे में अब अगर उनकी पार्टी टीएमसी के सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार कर दिया तो इंडिया ब्लॉक के लिए 29 सांसदों का समर्थन कम हो जाएगा. और उसकी संख्या 204 पर ही सिमट जाएगी.
Source : News Nation Bureau