Lok Sabha Speaker Powers : लोकसभा स्पीकर की भूमिका संसदीय लोकतंत्र में अध्यक्ष की भूमिका अहम होती है. एनडीए में प्रमुख सहयोगी टीडीपी और जेडीयू दोनों ही इस पद के लिए होड़ में है. बता दें कि अस्थाई या प्रोटेम अध्यक्ष द्वारा नए सदस्यों को शपथ दिलाने के बाद लोकसभा अध्यक्ष को सदन का पीठासीन अधिकारी चुना जाता है. चलिए अब जानते हैं लोकसभा अध्यक्ष के बारे में. यह पद एक संवैधानिक पद है. अध्यक्ष, संवैधानिक प्रावधानों और लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों द्वारा निर्देशित होता है. गौरतलब है कि सदन के अध्यक्ष का चुनाव नवगठित सदन के प्रथम कार्यों में से एक है. चलिए अब जानते हैं लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने के लिए कोई विशिष्ट योग्यता निर्धारित नहीं है.
संविधान में क्या है लोकसभा स्पीकर का महत्व
संविधान में कहा गया है कि अध्यक्ष को सदन का सदस्य होना चाहिए, लेकिन संसद के संविधान और परंपराओं की समझ एक बड़ी संपत्ति मानी जाती है. साथ ही सदन अपने पीठासीन अधिकारी का चुनाव उपस्थित सदस्यों की साधारण बहुमत से करता है, जो सदन में मतदान करते हैं. आम तौर पर सत्तारूढ़ दल का कोई सदस्य अध्यक्ष चुना जाता है. अध्यक्ष के निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता यदि सदन में हो अन्यथा सदन में विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी के नेता अध्यक्ष को आसन तक ले जाते हैं. लोक सभा अध्यक्ष की भूमिका और शक्तियां वह सदन के अंदर भारत के संविधान के प्रावधानों, लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों तथा संसदीय मामलों का अंतिम व्याख्या होता है. इनके द्वारा निचले सदन की बैठकों की अध्यक्षता की जाती है. अध्यक्ष सदस्यों के बीच अनुशासन और शिष्टाचार सुनिश्चित करके लोकसभा में कामकाज का संचालन करते हैं. वह गतिरोध को हल करने के लिए अपने मतदान के अधिकार का उपयोग करता है. अर्थात जब सदन मतदान प्रक्रिया शुरू करता है तो अध्यक्ष पहले चरण में मतदान नहीं करता है.
लोकसभा सभा स्पीकर की शक्तियां
जब दोनों पक्षों को बराबर संख्या में वोट मिलते हैं. अध्यक्ष का वोट गतिरोध को तोड़ता है, जिससे उसके स्थिति निष्पक्ष हो जाती है. वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है. कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं यह तय करने की निर्णायक शक्ति अध्यक्ष को दी गई है और उसका निर्णय अंतिम माना जाता है. लोकसभा अध्यक्ष की पदमुक्त के बारे में मृत्यु होने पर यदि वह लोकसभा का सदस्य नहीं रहता है, यदि वह उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर इस्तीफा दे देता है.
Source : News Nation Bureau