बजट सत्र के दूसरे सेशन के दौरान लोकसभा में बिना चर्चा के फॉरन कॉन्ट्रिब्यूशन (रेग्युलेशन) ऐक्ट 2010 (FCRA) को संशोधन के साथ पास कर दिया है।
इस बिल के पास होने के बाद राजनीतिक पार्टियों को साल 1976 से अब तक मिले विदेशी चंदे का ब्यौरा देने की जरूरत नहीं होगी।
बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के हंगामें के बीच वित्तीय विधेयक में 21 संशोधन किए गए हैं। इस संशोधन के बाद अब राजनीतिक दल आसानी से विदेशी चंदा ले सकेंगे।
गौरतलब है कि इस संशोधन के बाद बीजेपी और कांग्रेस को 2014 के दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले से राहत मिल जाएगी जिसमें दोनों पार्टियों को FCRA का उल्लंघन करने का दोषी करार दिया गया था।
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आपको बता दें कि FCRA को साल 1976 में पास किया गया था जिसमें कहा गया था कि ऐसी भारतीय या विदेशी कंपनियां जो विदेश में रजिस्टर्ड हैं राजनीतिक पार्टियों को चंदा नहीं दे सकतीं।
हालांकि इस बिल को बाद में FCRA, 2010 के जरिए निरस्त कर दिया गया था।
इससे पहले केंद्र की बीजेपी सरकार ने फाइनैंस ऐक्ट, 2016 में विदेशी कंपनियों की परिभाषा बदल दी थी। नई परिभाषा के अनुसार जिस कंपनी में 50 पर्सेंट से कम विदेशी निवेश होगा उसे फॉरन कंपनी की कैटिगरी से बाहर कर दिया जाएगा।
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Source : News Nation Bureau