कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के अंदर चले रही तनातनी के बीच कैबिनेट में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एकमात्र मंत्री एन महेश ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. महेश ने इस्तीफा देने के कारणों को व्यक्तिगत बताया है लेकिन उन्होंने कहा कि वह सत्ताधारी गठबंधन को समर्थन करते रहेंगे. महेश का यह आश्चर्यजनक कदम ऐसे समय में आया है जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगामी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में किसी भी कीमत पर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने की घोषणा की थी.
मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद एन महेश ने कहा कि वे अपनी कोलेगन विधानसभा क्षेत्र में केंद्रित करने और अपनी पार्टी को लोकसभा चुनावों में मजबूत करने के लिए पद छोड़ा है.
उन्होंने कहा, 'मेरे विधानसभा क्षेत्र में मेरे खिलाफ कैंपेन चल रहा था कि मैंने बेंगलुरू में डेरा जमा लिया है और कोलेगन पर ध्यान नहीं दे रहा हूं. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के आधार को मजबूत करने की जरूरत है.'
बसपा नेता ने कहा कि उन्होंने अपने इस्तीफे के बारे में मायावती को नहीं बताया है. मैं गठबंधन सरकार को समर्थन देता रहूंगा और 3 नवंबर को होने वाले 3 लोकसभा और 2 विधानसभा उपचुनावों में जेडीएस के लिए कैंपेन करेंगे.
उन्होंने कहा, 'मुझे सरकार में किसी के साथ कोई शिकायत नहीं है. मंत्री के रूप में मैंने सबसे अच्छा काम किया और राज्य का दौरा किया. यह इस्तीफा पूरी तरफ से व्यक्तिगत कारणों से है.'
बता दें बसपा ने मई में विधानसभा चुनावों में जनता दल (सेक्युलर) के साथ चुनाव लड़ा था. जेडीएस-बसपा ने चुनाव बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी.
मायावती ने पिछले सप्ताह ही घोषणा की थी कि वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं कर रही है और अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी. इसके लिए उन्होंने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी बसपा से गठबंधन चाहते थे, लेकिन दिग्विजय सिंह के चलते यह गठबंधन नहीं हो पाया.
मायावती ने कहा था कि कांग्रेस ने गुजरात चुनाव परिणाम से कोई सबक नहीं लिया है. पिछले परिणामों से साफ पता चलता है कि जहां बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से रहा, वहां बीजेपी ने आसानी से जीत दर्ज की.
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मायावती ने कहा था कि कांग्रेस को गलतफहमी है कि वह अकेले ही बीजेपी के साम, दाम, दंड, भेद और ईवीएम जैसी चालों से पार पाकर जीत हासिल कर लेगी, जो काफी हास्यास्पद है. मायावती ने मंगलवार को एक बार फिर कहा था कि किसी गठबंधन में सीट की 'भीख' मांगने के बदले वह अपने दम पर चुनाव लड़ेंगी.
Source : News Nation Bureau