श्रीलंका में आतंकी हमले के बाद वहां बुर्के पर प्रतिबंध के बाद भारत में भी ऐसा करने की मांग पर जावेद अख्तर ने जो प्रतिक्रिया दी थी, उससे वो पलट गए हैं. जावेद अख्तर ने पहले कहा था कि बुर्के पर प्रतिबंध लगाने से पहले घूंघट पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. अब उन्होंने अपने इस बयान पर सफाई दी है. अख़्तर ने ट्वीट कर कहा है कि कुछ लोगो ने मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. मैंने कहा था कि हो सकता है श्रीलंका में सुरक्षा के लिहाज से इसे बैन किया गया हो पर वास्तव में ये महिला सशक्तिकरण के लिए जरूरी है. चेहरे का ढकना बंद होना चाहिए चाहे वो बुर्का हो या घूंघट.
इससे पहले जावेद अख्तर ने कहा था- सरकार बुर्के के साथ राजस्थान में घूंघट पर भी बैन लगाए, तब जाकर इसका उद्देश्य पूरा होगा. कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में आयोजित प्रेस वार्ता में जावेद अख्तर ने यह बात कही थी. इस दौरान उन्होंने कहा था- "मैं राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखता. माना जा रहा है कि जावेद अख्तर के इस बयान से कांग्रेस के राहुल गांधी को पीएम पद के रूप में प्रोजेक्ट करने के प्रयासों को बड़ा धक्का लगा है.
जावेद अख्तर ने साध्वी प्रज्ञा (Sadhwi Pragya) पर भी कटाक्ष किया था. उन्होंने कहा- "जब उनके श्राप से एक देशभक्त ऑफिसर शहीद हो सकता है तो ऐसे श्राप को नेशनल वाइस के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए. मैं मोदी जी को यह सुझाव दूंगा कि इनके श्राप को हाफिज सईद और दूसरे आतंकियों पर इस्तेमाल किया जाए.
Source : News Nation Bureau