वर्षों तक भावी युवराज ही बने रहे एम के स्टालिन का आखिरकार डीएमके (द्रविड मुनेत्र कडगम) का राजा बनना तय हो गया है। दिवंगत डीएमके नेता एम करुणानिधि के पुत्र और उनके वास्तविक राजनीतिक वारिस एम के स्टालिन का मंगलवार को डीएमके पद चयन होना लगभग तय है। पार्टी मुख्यालय में डीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक में मंगलवार को औपचारिक तौर पर उनके राजतिलक की औपचारिक घोषणा हो सकती है।
डीएमके के दूसरे अध्यक्ष के रूप में स्टालिन का चुनाव निर्बाध तरीके से होने की संभावना है क्योंकि पार्टी के 65 जिलों के सचिवों ने पार्टी के शीर्ष पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया है और उनके विरोध में कोई नामांकन नहीं हुआ है। पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले वह एकमात्र उम्मीदवार हैं।
उनके दिवंगत पिता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री करणानिधि के बीमार रहने के कारण अधिकांश समय घर में ही बिताने पर स्टालिन को जनवरी 2017 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था।
करुणानिधि के इसी महीने निधन हो जाने के बाद उनको पार्टी अध्यक्ष के रूप में प्रोन्नत करना अनिवार्य हो गया था।
करुणानिधि के 65 वर्षीय पुत्र के पास पार्टी के कोषाध्यक्ष का पद भी होगा। वरिष्ठ नेता दुरई मुरुगन का उनकी जगह चुना जाना भी तय है क्योंकि उस पद के लिए कोई अन्य उम्मीदवार नहीं है।
स्टालिन के बड़े भाई एम. के. अलागिरि जिनको उनके नेतृत्व का विरोध करने को लेकर करुणानिधि ने पार्टी विरोधी कार्य में लिप्त रहने के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था वह उपचुनाव में डीएमके विरोधी कार्य कर सकते हैं।
Source : IANS