CBI के अंतरिम निदेशक रह चुके एम नागेश्वर राव ने हिंदू अधिकारों के लिए आवाज उठाई है. राव फायर सर्विस डिपार्टमेंट DG के पद से 31 जुलाई को रिटायर हुए थे. तेलंगाना का वारंगल जिले के रहने वाले एम नागेश्वर राव 1986 में ओडिशा कैडर के IPS अधिकारी बने थे.
राव ने कहा कि हिंदुओं को भारत में ही समान अधिकार नहीं मिल रहे हैं. धर्म, शिक्षा, संस्कृति में समान अधिकार नहीं. हिंदुओं को अल्पसंख्यकों की तरह शैक्षणिक संस्थान चलाने की आजादी 'नहीं है. एक खास एजेंडे के तहत अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार दिया गया. आर्टिकल-29 भाषा, लिपि, संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार देता है. आर्टिकल-30 अल्पसंख्यकों को स्पेशल एजुकेशनल राइट्स देता है. दूसरे धर्म और झूठी समानता बनाकर इसे तैयार किया गया. सभ्यतागत ज्ञान और प्राचीन गंथों को शिक्षा से गायब किया गया. हिंदू धर्म और प्राचीन सभ्यता इन नियमों के चलते हिंदू छात्र नहीं सीख पाते.
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राव ने कहा कि भारत में हिंदू केवल समान अधिकारों की मांग करते हैं. राज्य सरकारें हिंदू मंदिरों का राष्ट्रीयकरण करने में जुटी रहती हैं. 1 लाख से ज्यादा मंदिर और लाखों एकड़ जमीन पर राज्य सरकार का कब्जा है. मस्जिदों और चर्चों का राष्ट्रीयकरण नहीं किया जाता है. हिंदू धार्मिक परंपराओं और त्योहारों को गैरकानूनी रूप से बैन किया जाता है.
हिंदुओं पर अत्याचार की बात करते हुए राव ने कहा कि हिंदुओं के उत्पीड़न का सबसे बड़ा उदाहरण कश्मीर है. मातृभूमि होने के बावजूद कश्मीरी हिंदुओं को अलग किया गया. हिंदुओं को कश्मीर की प्राचीन सभ्यता के बारे में जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और उत्पीड़न को रोका जा सकता था लेकिन योजनाबद्ध तरीके से कश्मीरी पंडितों को टारगेट किया गया. जब राव से यह पूछा गया कि धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की वास्तविक पहचान क्या है? तो उन्होंने कहा कि सभी को एक समान अधिकार मिले यही लोकतंत्र है.
हिंदू सभ्यता को भ्रष्ट करने की साजिश
राव ने कहा कि हिंदू सभ्यता को भ्रष्ट करने की साजिश हुई है. हिंदुओं को उनके ज्ञान से दूर किया गया. हिंदू धर्म को अंधविश्वासों के संग्रह के रूप में सत्यापित किया गया और शिक्षा पर अब्राहम विचारधारा का प्रभाव थोपा गया. मीडिया और मनोरंजन पर भी अब्राहम विचारधारा का प्रभाव देखने को मिलता है. हिंदुओं को उनकी पहचान पर शर्मसार किया गया.
भारतीयों के दिमाग पर किसने राज किया?
इस सवाल पर राव ने कहा कि आजादी के बाद 30 में से 20 साल तक अल्पसंख्यक शिक्षामंत्री. 10 साल तक वीकेआरवी जैसे वामपंथियों का राज रहा. 1947-58 तक 11 साल मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षामंत्री रहे. 1963-67 तक हुमायूं कबीर, एमसी छागला, फकरुद्दीन अली अहमद शिक्षामंत्री रहे. 1972-77 तक 5 साल तक नुरुल हसन शिक्षामंत्री रहे. यह पूछे जाने पर कि आखिर इन शिक्षा मंत्रियों ने क्या किया तो राव ने कहा कि कई शिक्षामंत्रियों ने इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया. एजेंडे के तहत खूनी इस्लामिक घुसपैठ के बारे में नहीं बताया गया.
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NCERT के सिलेबस में अब्राहम के विचारधारा को थोपा गया. 2006 तक 11वीं में 'सेंट्रल इस्लामिक लैंड' का चैप्टर था. 12वीं में इस्लामिक रिती रिवाज और मुगल अदालतों पर पाठ था. कला और सिनेमा के क्षेत्र का भी इस्लामीकरण किया गया. उन्होंने कहा कि दिल्ली की रोड घुसपैठियों के नाम पर रखी गई. दिल्ली के असल संस्थापकों के नाम पर कोई रोड नहीं. अल्पसंख्यक और वामपंथी शिक्षाविदों का बेवजह महिमामंडन किया गया. एजेंडे के तहत हिंदूवादी विचारकों को किनारे कर दिया गया.
RSS की मेहनत से जागे हिंदू
राव ने कहा कि 1980 के बाद हिंदू चेतना जागी है. 1982 में एशियन गेम्स का टीवी पर प्रसारण, 1986 में राम जन्मभूमि का ताला खुलना, 1987-88 : रामायण धारावाहिक के 78 एपिसोड का प्रसारण, 1988-89 में लव-कुश टीवी धारावाहिक के 39 एपिसोड का प्रसारण, 117 हफ्ते तक रामायण और लव-कुश धारावाहिक से हिंदू चेतना जागी. इसमें RSS और VHP ने भी कड़ी मेहनत की.
पीएम मोदी से नागेश्वर राव की मांग
नागेश्वर राव ने पीएम मोदी से मांग करते हुए कहा कि ''आपके पास हिंदू धर्म को संवैधानिक गुलामी से मुक्त कराने करने का बहुत बड़ा जनादेश है और हिंदुओं को अल्पसंख्यकों के बराबर एक समान अधिकार देने के लिए आपको संविधान के अनुच्छेद 25-30 में संशोधन करना चाहिए. हिंदू ज्यादा अधिकार की मांग नहीं करते हैं. हिंदू केवल उस समान अधिकार की बात करते हैं, जो सभी तरह के अल्पसंख्यकों को मिला हुआ है और जो एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की पहचान है. इस काम के लिए आपको भारत के सबसे महान सभ्यतावादी नेता के रूप में हमेशा के लिए सम्मानित किया जाएगा.''
Source : News Nation Bureau