दुनिया के किसी भी देश की सेना कितनी मजबूत है, ये तय करते हैं उसके पास मौजूद विध्वंसक हथियार. एक ही झटके में बड़ी तबाही मचानी होती है, तो टैक्टिकल न्यूक्लियर बमों का इस्तेमाल होता है. चूंकि इसपर बैन है और 8 दशकों से इसका इस्तेमाल किसी भी जगह पर नहीं हुआ है, तो अब रास्ते बचते हैं जीपी बम (General Purpose Bomb) के इस्तेमाल के. भारतीय सेना के पास भी बड़े साइज के बम रहे हैं, लेकिन अब तक ये विदेशों से मंगाए जाते रहे हैं. भारत ने पीओके के पार जाकर बालाकोट में जो एयर अटैक किया था, उसमें भी बड़े साइज के बमों का ही इस्तेमाल किया गया था, जो मिराज विमानों के जरिए गिराए गए थे. लेकिन अब तक भारतीय सेना को जो बड़े साइज के बम मिलते थे, वो विदेशों से खरीदे जाते थे. उनका इस्तेमाल भी सीमित था. पर अब चीजें बदल रही हैं. भारत अब खुद ही बड़े साइज के बम बना रहा है. मध्य प्रदेश के जबलपुर में म्यूशियन इंडिया लिमिटेड की खमरिया शाखा है, जहां ऐसे जीपी बम रहे हैं, जो किसी भी पाकिस्तानी-चीनी टारगेट को चुटकियों में मटियामेट कर देंगे. जी हां, 500 किलो ग्राम वजनी बम भी भारत बनाने लगा है और अब पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चला है. इस तरह के 48 बमों की पहली खेप को भारतीय वायुसेना को सौंप भी दिया गया है.
क्वॉलिटी टेस्ट-ओके, वायुसेना को मिले 48 जीपी बम
भारी बमों के लिए विदेशों पर निर्भर रही भारतीय सेना को अब देश में बने 500 किलो के टैक्टिकल हैवी बमों की सप्लाई शुरू हो चुकी है. म्यूशियन इंडिया लिमिटेड की यूनिट आयुध निर्माणी खमरिया ने इन भारी बमों का निर्माण किया है. 1.9 मीटर लंबे इन बमों में बारूद के साथ 21 हजार छर्रे भरे हैं, जो किसी भी इलाके में गिरने पर आस-पास की 200 मीटर की जगह को समतल बना देंगे. इनकी चपेट में आने वाली 12 एमएम मोटी स्टील की चादर तक छलनी हो जाएगी. ऐसे ही 48 बमों को जीडीएक्यूए के कमांडिंग ऑफिसर और आयुध निर्माणी के अधिकारियों की मौजूदगी में वायुसेना (Indian Air Force) को सौंप दिया गया है, जो सुखोई-सु30 और जगुआर जैसे हैवी बम्बर्स पर तैनात होंगे. इन बमों की खेप को जनरल मैनेजर एसके सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उन्होंने कहा कि आयुध निर्माणी खमरिया के कर्मचारियों के लिए आज का दिन बहुत खास है. हम सभी के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.
जी पी 500 KG GP बमों की खासियत
जानकारी के मुताबिक, 500 KG GP बम के हमले की चपेट में आने वाली जगह के 200 मीटर के दायरे में सबकुछ नष्ट हो जाएगा. इन बमों में 15 मिमी के 21000 भारी छर्रे भरे होंगे. जो बारूद से मिल कर विस्फोट के बाद तबाही मचा देंगे. इन बमों की लंबाई 1.9 मीटर है. जीपी बम पूरी तरह से गाइडेड बम होते हैं. जो ऊंचाई से गिराए जाते हैं. इनके लिए सुखोई सु-30 मल्टीपर्पज फाइटर जेट्स और जगुआर बमबर्षक जहाजों पर स्पेशल हैंगर बने हैं. एक बाद में कोई भी फाइटर जेट 2 या फिर 4 की संख्या में इन बमों को लेकर उड़ेगा और दुश्मन के चीथड़े उड़ा देगा. भारत इनकी टेस्टिंग हर मौसम में और हर ऊंचाई पर कर चुका है. जैसलमेर रेंज में इनके कई परीक्षण हो चुके हैं और भारत के बनाए इन जीपी बमों पूरी सटीकता साबित की है.
भारत सरकार ने लगाया विदेशी खरीद पर बैन
बता दें कि भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry of India) ने 100 से अधिक युद्धक सामग्रियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसा मेक इन इंडिया मुहिम के तहत हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किया गया है. जिसमें जीपी 500 किलो (500 KG GP) के बमों का निर्माण मील के पत्थर की तरह है. इसके अलावा भारत अपनी जरूरत का अधिकतर सैन्य साजो-सामान और गोला-बारूद खुद ही तैयार कर रहा है. ऐसे में वो दिन दूर नहीं, जब भारत हथियारों के आयातकों की लिस्ट में आगे रहने की जगह हथियारों के निर्यातकों में आगे के पायदान पर खड़ा होगा.
HIGHLIGHTS
- भारत में तैयार हो रहे भारी बम
- जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरी में बन रहे जीपी 500 बम
- मेक इन इंडिया मुहिम को मिली बड़ी सफलता