मध्य प्रदेश के ग्वालियर की बेटियों ने सैनेटरी नैपकीन को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के खिलाफ न केवल आवाज उठाई थी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1,00,00 नैपकीन भेजने का ऐलान किया था। उसी दिन सरकार हरकत में आ गई थी और उसका नतीजा भी अब सामने आ गया है। सैनेटरी नैपकीन को लग्जरी सामान की श्रेणी से बाहर कर जीएसटी मुक्त कर दिया गया है।
सरकार के इस फैसले से यहां की महिलाएं और युवतियां बेहद खुश हैं। उन्हें खुशी इस बात की नहीं है कि उनकी मुहिम सफल हुई, बल्कि खुशी इस बात की है कि महिलाओं की आवश्यकता की वस्तु को सरकार ने जाना, समझा और उसे कर मुक्त कर दिया।
इस अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हरि मोहन का कहना है, 'आज भी देश में महिलाओं की बहुत बड़ी आबादी सैनेटरी नैपकीन का उपयोग नहीं कर पाई है। सरकार ने इसे जीएसटी के दायरे में लाकर महिलाओं से और दूर करने का कदम उठाया था। इसका ग्वालियर-चंबल की महिलाओं और बालिकाओं ने पुरजोर विरोध किया, इसे देश का साथ मिला और आखिरकार सरकार को ग्वालियर की बेटियों की आवाज सुननी पड़ी और सैनेटरी नैपकीन जीएसटी से मुक्त हुई।'
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ग्वालियर की प्रियंका कहती हैं, 'सरकार ने देर से ही सही महिलाओं के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। यह एक सार्थक कदम है। अब सरकार को महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि वे सैनेटरी नैपकीन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें, और वे स्वस्थ रहें।'
सैनेटरी नैपकीन को जीएसटी मुक्त करने की मुहिम का हिस्सा रहीं सोनफूल कहती हैं, 'सरकार ने महिलाओं की अति आवश्यक वस्तु को भी जीएसटी में शामिल कर दिया था। यह फैसला ही गलत था, चलो देर से ही सही सरकार जागी तो। महिलाओं के लिए सरकार को वास्तव में सैनेटरी नैपकीन निशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए, तभी तो स्वच्छता का संदेश वास्तव में अमली जामा पहन पाएगा।'
साक्षी देसाई ने भी प्रधानमंत्री के नाम सैनेटरी नैपकीन पर संदेश लिखकर जीएसटी से इसे मुक्त करने की मांग की थी। उनका कहना है, 'सरकार ने एक अच्छा निर्णय लिया है, महिलाओं की जरूरत को समझा है। अब सरकार को महिलाओं के हित में और भी कुछ ऐसे फैसले लेने चाहिए, ताकि उनकी सेहत दुरुस्त रह सके।'
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Source : IANS