Advertisment

मद्रास हाईकोट ने नीट प्रभाव अध्ययन समिति के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की

मद्रास हाईकोट ने नीट प्रभाव अध्ययन समिति के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की

author-image
IANS
New Update
Madra HC

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

मद्रास उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के छात्रों पर विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए गठित न्यायमूर्ति ए.के. राजन समिति के खिलाफ भाजपा के तमिलनाडु महासचिव के. नागराजन द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज कर दी।

द्रमुक सरकार द्वारा समिति का गठन 10 जून को किया गया था। द्रमुक ने अपने चुनावी घोषणापत्र में, नीट का विरोध किया था और वादा किया था कि वह इस परीक्षा को समाप्त कर देगा, क्योंकि इससे आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के लोगों को बहुत तनाव हो रहा है।

नीट के विरोध को भाजपा के नागराजन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी समिति के गठन को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश या केंद्र सरकार की शक्तियों के विपरीत नहीं देखा जा सकता।

इसमें कहा गया, एक निर्वाचित सरकार को नीट के प्रभाव का अध्ययन करवाने से रोकने के लिए कोई कारण नहीं है।

नागराजन ने अपनी याचिका में कहा था कि इस तरह की समिति का गठन एक निर्थक कवायद है, क्योंकि इस तरह की समिति के अध्ययन से नीट परीक्षा के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में पहले ही एक आदेश पारित कर चुका है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि कई अध्ययनों और कानूनी घोषणाओं के बाद नीट पेश किया गया था और कहा गया था कि मेडिकल प्रवेश के लिए प्लस टू अंक पर भरोसा करने से औसत दिमाग और औसत से नीचे के छात्रों का चयन होगा।

भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि समिति का गठन राज्य की क्षमता से बहुत परे है और उन्होंने इसे लापरवाही भरा कार्य करार दिया।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment