मद्रास हाई कोर्ट ने चेन्नई के प्रसिद्ध मरीना बीच पर विरोध प्रदर्शनों करने पर तमिलनाडु सरकार के द्वारा लगाए गए रोक को बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने कहा है कि बीच का इस्तेमाल आंदोलनों के लिए नहीं किया जा सकता है क्योंकि सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखना उतना ही महत्वपूर्ण है। अप्रैल महीने में किसान संगठन के नेता पी अय्याकन्नु ने मद्रास हाई कोर्ट में पुलिस द्वारा कावेरी मुद्दे के कारण मरीना बीच पर प्रदर्शन की मांग खारिज करने के बाद याचिका दाखिल किया था।
किसान नेता ने अपनी याचिका में कहा था कि वे 90 दिनों के भूख हड़ताल की योजना बना रहे हैं, अगर मरीना बीच पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा तभी उन्हें आकर्षण मिलेगा। हालांकि कोर्ट ने एक दिन के प्रदर्शन की इजाजत दी थी।
राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी है कि 2017 में हुए जल्लीकट्टू प्रदर्शन को छोड़कर पिछले 15 सालों में मरीना बीच पर कोई प्रदर्शन नहीं हुआ है। पुलिस कहती आई है कि मरीना बीच एक दशक से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन, आंदोलन, जुलूस पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
मार्च 2018 में मरीना बीच पर पहुंचकर केंद्र सरकार से जल्द कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने की मांग की थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी महीने में ही केंद्र को कावेरी मुद्दे को सुलझाने के लिए मैनेजमेंट बोर्ड का गठन करने को कहा था।
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तमिलनाडु सरकार की तरफ कोर्ट में पेश हुए तमिलनाडु के एडिशनल एडवोकेट जनरल अरविंद पांडियन ने दलीलें पेश की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन करने की अनुमति या बैन लगाने का अधिकार सिर्फ सरकार के पास है।
Source : News Nation Bureau