जयललिता के निधन पर संदेह जताते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने पूछा है कि क्यों उनके शव को कब्र से बाहर निकालने का आदेश नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्य और केंद्र सरकार समेत अन्य संबंधित पक्षों को इस मामले पर नोटिस भेजा है।
कोर्ट ने कहा, 'जयललिता के करीबियों की तरफ से जिस तरह की गोपनीयता बरती गई, उससे हम भी खुश नहीं हैं।'
75 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद 5 दिसंबर को जयललिता का निधन हो गया था। इसके बाद उनके शव को छह दिसंबर को मरीना बीच पर एमजीआर मेमोरियल में दफनाया गया।
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मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एस बैद्यलिंगम और जस्टिस पार्थिबन की वेकेशन की बेंच ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, 'हमने भी अखबारों में यही पढ़ा था कि मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। वह खा रही हैं, कागजों पर हस्ताक्षर कर रही हैं और यहां तक की मीटिंग भी ले रही हैं। और फिर अचानक उनके निधन की खबर आई।'
यह याचिक AIADMK के एक कार्यकर्ता पीए जोसेफ ने दायर की है। बेंच ने कहा, 'निधन के बाद ही सही, लेकिन कुछ सबूत क्यों नहीं सार्वजनिक किए गए।'
बेंच ने 1980 के उस वाक्ये का भी जिक्र किया जब तात्कालिक मुख्यमंत्री एमजी रामाचंद्रन चेन्नई और अमेरिका दोनों जगहों पर इलाज करा रहे थे। बेंच ने कहा, 'जब एमजीआर इलाज करा रहे थे तब सरकार ने मुख्यमंत्री का वीडियो तक जारी किया था।'
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HIGHLIGHTS
- AIADMK के कार्यकर्ता ने जयललिता के निधन की जांच की मांग के लिए दायर की थी याचिका
- कोर्ट ने पूछा, 'शव को बाहर क्यों नहीं निकाल सकते, मीडिया की तरह हमें भी शक है'
Source : News Nation Bureau