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महामंडलेश्वर कन्हैया अपनी भूल सुधारें, संत कभी दलित नहीं होता : कामेश्वर चौपाल

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंदन गिरि के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संत दलित नहीं होता है.

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nitu pandey
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कामेश्वर चौपाल( Photo Credit : फाइल फोटो)

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राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंदन गिरि के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संत दलित नहीं होता है. ट्रस्ट में दलित के शामिल करने की बात पर उन्होंने कहा, 'मैं दलित हूं और मुझे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया है.'

दरअसल, प्रयागराज के महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि ने हाल में आरोप लगाया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को हो रहे भूमि पूजन अनुष्ठान में दलित संतों की उपेक्षा की जा रही है.समारोह में उन्हें नहीं बुलाया जा रहा है. स्वामी कन्हैया का यह भी आरोप था कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में किसी दलित को सदस्य नहीं बनाया गया है.बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त की थी.

इस संबंध में आईएएनएस से विशेष वार्ता में ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा कि आरोप लगाने के पीछे कहीं न कहीं आत्मविश्वास की कमी है.महामंडलेश्वर कोई खुद नहीं बन सकता है. इस पद पर नियुक्ति अखाड़ा परिषद द्वारा होती है.यह चुनाव मेधा के अनुसार होता है. अखाड़ा परिषद किसी संत को जाति देखकर नहीं बल्कि गुण के आधार पर महामंडलेश्वर के पद पर अभिषेक करता है. अब सन्त होने के बाद दलित वाली बात कहां से आ गयी.

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चौपाल ने कहा कि समाज के अंदर से भेद हटाने के लिए ही विहिप का उदय हुया. एक फरवरी 1989 में संतों का धर्म संसद प्रयाग में हुआ था. उसमें एक लाख संत थे. उस समय निर्णय हुआ था कि रामजन्मभूमि का शिलान्यास किसी न किसी समाज के पीछे पंक्ति के व्यक्ति से करवाया जाएगा. उस समय अनसूचित जाति से शिलान्यास मैंने किया था. उसका किसी धर्माचार्य ने विरोध भी नहीं किया था.

उन्होंने बताया कि ट्रस्ट बनने के बाद यह तय किया गया कि जब तक राम की मान्यता रहेगी तब तक एक अनुसूचित जाति का व्यक्ति उसमें रहेगा. हालांकि, ट्रस्ट जाति के आधार पर नहीं बनते हैं. उन्होंने कहा कि महामंडलेश्वर को इस तरह नहीं सोचना चाहिये. यह अपरिपक्व शिकायत है। उनका यह बयान पूर्वाग्रह से ग्रसित है. उन्होंने कहा कि भूमि पूजन के लिए मेहमानों की सूची जब किसी को पता नहीं है. फिर आप आरोप कैसे लगा सकते हैं कि किसे नहीं बुलाया गया.

यह पूछने पर कि क्या राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में आपसी संवादहीनता है क्योंकि राम मंदिर के नींव में आपने कैप्सूल डालने की बात कही और महासचिव ने उसे खारिज कर दिया. इस पर चौपाल ने कहा, 'ऐसा नहीं है, ट्रस्ट में सभी को अपनी बात रखने की आजादी है. हर मुद्दे पर गहन चिंतन और खुलकर चर्चा होती है. कैप्सूल की बात हमने भविष्य को देखते हुये कहा था जिससे इतिहास संरक्षित रहे। ट्रस्ट के महासचिव चाहते हैं इसमें और बृहद बात की जाये. सब कुछ खुलकर सामने आए. अभी इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी. हमारे यहां सब कुछ लोकतांत्रिक ढंग से होता है. यह कोई विवाद का विषय नहीं है. पहले मंदिर के मॉडल में कोई बदलाव न करने की बातें आई थीं, लेकिन उस पर भी चर्चा होकर अब बदलाव किया जा रहा है. इसमें कोई हार जीत नहीं होती है.'

अयोध्या आंदोलन के अगुआ रहे आडवाणी, जोशी और कटियार को ट्रस्ट में जगह न मिलने का कारण पूछने पर चौपाल ने कहा कि यह बात मेरे दायरे के बाहर है. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर सरकार ने ट्रस्ट बनाया है. जब यह पूछा गया कि क्या ऐसा नहीं लगता है कि ट्रस्ट को मातृ शक्ति से दूर रखा गया है?

इस पर उन्होंने कहा कि पहले अनसूचित, पिछड़े, फिर सामान्य भी सोचेंगे कि हमें नहीं लिया गया है. अब आप मातृ शक्ति की बात कर रहे हैं. दरअसल यह काम लाभ का नहीं, त्याग का है. यहां समर्पण की बात है. अगर रामायण देखें तो पता चलता है कि किसी को लंका मिली और किसी को अन्य चीजें, लेकिन हनुमान को कुछ नहीं मिला. फिर भी उनकी पूजा हर जगह हो रही है. मंदिर बनने के लिए भक्ति की जरूरत है. अभी ट्रस्ट से सभी संतुष्ट हैं. सभी केवल यही चाहते हैं कि वहां जल्द से जल्द भव्य मंदिर बने.

यह पूछने पर कि ट्रस्ट में मना करने के बावजूद लोग चांदी सोना दे रहे हैं ऐसा क्यों, उन्होंने कहा कि हमारे यहां बहुत पारदर्शिता है. चांदी और अन्य धातु दान देने वालों से अपील की जा रही है कि वे सीधे कैश दें और अकॉउंट में जमा कराएं. अब तो ऑनलाइन भी पैसा दे सकते हैं. हम आह्वान कर रहे हैं, लोग सामर्थ्य के अनुसार दान दें.

अब प्रधानमंत्री के भूमि पूजन और शिलान्यास करने आने की संभावना है. इससे पहले आप शिलान्यास कर चुके हैं. आपको कैसा लग रहा है. इस सवाल के जवाब में चैपाल ने कहा कि शिलान्यास बहुत पहले हो चुका है. अब केवल भूमि पूजन है.ट्रस्ट के अध्यक्ष भी इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं.

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उन्होंने कहा, '1989 में जब हमने शिलान्यास किया था वह संघर्ष का दौर था. उस समय वहां बाबरी मस्जिद का ढांचा खड़ा था जो 1992 में ध्वस्त हुआ. इतने वर्षो तक ऐसे ही रहा. इसलिये शुद्धिकरण के लिए भूमि पूजन होना जरूरी है. मेरा योगदान जैसे रामसेतु में गिलहरी की तरह माने. लेकिन प्रधानमंत्री के हाथों से भूमि पूजन होना गौरव की बात है, क्योंकि वह देश के सर्वमान्य नेता हैं. मैं तो शिलान्यास करके गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.'

एक दूसरे सवाल के जवाब में चौपाल ने कहा कि ट्रस्ट चाहता है कि रामजन्मभूमि पर जल्द से जल्द मंदिर बनवाकर जनता को सौंप दिया जाये. मंदिर निर्माण की कमेटी बन गई है. हर विषय के विशेषज्ञ तैनात किए गए हैं.

भूमि पूजन कार्यक्रम में विपक्षी दलों के लोगों को न बुलाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'मंदिर निर्माण से पहले हम लोग कई बार विपक्षी दल के लोगों से धर्म संसद में आने का आमंत्रण देते थे, लेकिन वोट बैंक के चक्कर में वे लोग आते नहीं. ये लोग बुलाने पर भी नहीं आएंगे. जब बंगाल में जय श्रीराम कहने पर लाठियां चल रही हैं तो इससे अंदाजा लगा लें. वैसे भी कोरोना के चलते कार्यक्रम बड़ी सीमित दायरे में आयोजित किया जा रहा है.'

Source : News Nation Bureau

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